बिहार में महागठबंधन खत्म हो गया है। नीतीश कुमार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ हो गए हैं। महागठबंधन की सरकार से इस्तीफे के तुरंत बाद नीतीश कुमार को बीजेपी का साथ मिल गया और अब वह दोबारा आज(27 जुलाई) मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लिए हैं। नीतीश ने गुरुवार को छठी बार बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ली। वहीं, सीनियर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने बतौर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार के लिए आज यानी शुक्रवार (28 जुलाई) का दिन अहम है। उन्हें बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करना है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार के विश्वासमत हासिल करने के लिए बिहार विधानसभा की आज(शुक्रवार) 11 बजे विशेष बैठक बुलाई गई है। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार(27 जुलाई) को यहां पत्रकारों को बताया कि सदन सचिवालय द्वारा सदस्यों को कल 11 बजे से आहूत सदन की विशेष बैठक को लेकर फोन और पत्र के जरिए सूचित कर दिया गया है।
122 है बहुमत का आंकड़ा
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है, ऐसे में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार आसानी से विश्वासमत हासिल करती दिख रही है। जदयू के 71 विधायक हैं, जबकि बीजेपी और सहयोगी दलों के कुल 58 विधायक हैं। इन दोनों के जोड़ से आंकड़ा 129 तक जा पहुंचता है जो बहुमत के लिए जरूरी 122 मतों से सात ज्यादा है, लेकिन घात-प्रतिघात की आशंकाओं के बीच जरूरी आंकड़े कम ना पड़ जाएं इसलिए पहले से ही कोशिशें जारी हैं।
JDU में बगावत के सुर तेज
24 घंटे के अंदर महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के लिए आगे की राह आसान नहीं नजर आ रही है। नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन तोड़ने के बाद इस बीच उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) में बगावत के सुर तेज हो गए हैं।
जेडीयू सांसद अली अनवर की ओर से खुलकर नीतीश कुमार के फैसले का विरोध करने के बाद पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव की भी नाराजगी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार के एनडीए में जाने से शरद यादव नाराज बताए जा रहे हैं।
शायद यही वजह रही कि गुरुवार को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए शरद यादव पटना नहीं गए। इस दौरान वह दिल्ली में ही मौजूद रहे। इस बीच खबर आ रही है कि शरद यादव ने दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है।