राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार को कहा कि उसने फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) से जुड़े एक आतंकवादी फंडिंग मामले में एक व्यापारी को बचाने के एवज में कथित रिश्वतखोरी के आरोप में एक मामले में एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) सहित तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। आतंकी फंडिंग मामले में फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) की संलिप्तता है, जो लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ा हुआ है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा कि, “लश्कर प्रमुख से संबंधित एफआईएफ की संलिप्तता वाले आतंकी फंडिंग मामले में एक व्यापारी को बचाने के लिए कथित रूप से रिश्वत मांगने को लेकर तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।” अधिकारी ने कहा कि निलंबित अधिकारियों में एक एसपी रैंक का अधिकारी, एक एनसीआरबी ऑफिस का एएसपी रैंक के बराबर का अधिकारी और एक सहायक उपनिरीक्षक शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि निलंबित एसपी इसके पहले 2007 के समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले का मुख्य जांच अधिकारी था, जबकि अन्य दोनों एनआईए के खुफिया एवं ऑपरेशन शाखा के हैं। अधिकारी ने कहा कि तीनों ने उत्तर दिल्ली के एक व्यापारी के खिलाफ तलाशी ली थी।
अधिकारियों और व्यापारी के नामों का खुलासा फिलहाल नहीं किया गया है। यह कार्रवाई विभागीय जांच की रिपोर्ट आने के बाद की गई है। आतंकरोधी एजेंसी ने तीनों को तब स्थानांतरित कर दिया, जब दिल्ली के एक व्यापारी ने आरोप लगाया कि वे आतंकी फंडिंग के एक मामले में उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं।
एजेंसी ने 20 अगस्त को कहा था कि व्यापारी ने शिकायत की थी कि अधिकारी उससे दो करोड़ रुपये मांग रहे हैं, ताकि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सईद की संलिप्तता वाले मामले में उसका नाम न डाला जाए। एनआई अधिकारियों के अनुसार, एनआईए को एसपी और दो जूनियर अधिकारियों के बारे में जुलाई में ही शिकायत मिली थी, जो एफआईएफ की जांच कर रहे थे।
एनआईए ने पिछले साल एफआईएफ के उप प्रमुख शाहिद महमूद और अन्य के खिलाफ धार्मिक कार्य की आड़ में दिल्ली और हरियाणा में स्लीपर सेल और लॉजिस्टिक्स बेस बनाने के लिए 2012 के आसपास साजिश रचने का मामला दर्ज किया था।