प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव करते हुए कई पुराने मंत्रियों को कार्यभार से मुक्त कर दिया और नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। मोदी कैबिनेट में 43 नए केंद्रीय मंत्रियों को शामिल किया गया। वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री ने हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों को मंत्रिपरिषद से हटा दिया। हर्षवर्धन के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर लोग तमाम तरह की टिप्पणी कर रहे है और उनके इस्तीफे के लिए कोरोना काल में सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच, समाचार चैंनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ के मशहूर एंकर और भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर निशाना साधा।
‘एनडीटीवी इंडिया’ के एंकर रवीश कुमार ने 7 जुलाई को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “मई के महीने में मैंने इसी फ़ेसबुक पेज पर डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखा था कि उन्हें इस्तीफ़ा देना चाहिए। डॉ हर्षवर्धन ने इस्तीफ़ा देने में दो महीने लगा दिए। इस इस्तीफ़े से इंसाफ़ नहीं मिला है। बल्कि उस सवाल की शुरूआतें हुई है जिस पर पर्दा डाला जा रहा है। कि देश में कोरोना को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई थी। इसकी जवाबदेही जाती तो प्रधानमंत्री तक है लेकिन लगा कि कम से कम स्वास्थ्य मंत्री ही इस्तीफ़ा दे।
काश इस्तीफ़ा देने के बाद डॉ हर्षवर्धन उस दौर के सच को बाहर ला दें। अपने आप को सच बोलने में झोंक दें और सब बता दें। वो ऐसा नहीं करेंगे। ED के लोग छापे मारने लगेंगे। लेकिन आप लोग भी इस गफ़लत में न रहें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरा पोस्ट पढ़ कर डॉ हर्षवर्धन का इस्तीफ़ा माँग लिया। प्रधानमंत्री को अप्रैल और मई के नरसंहार से निकलने का रास्ता चाहिए।
उसी रास्ते की खोज में यह विस्तार हुआ है। एक तरह से स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफ़ा साबित करता है कि विपक्ष से लेकर हम जैसों के उठाए सवाल बिल्कुल सही थे। अगर वो सवाल सही थे तो यह कितना भयावह है कि इतने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस इस्तीफ़े से यह स्वीकार कर लिया है कि सरकार उस वक़्त झूठ बोल रही थी।”