अपनी ही पार्टी पर हमलावर हुए सुब्रमण्यम स्वामी, कहा- अगर देश में अकेले BJP रह गई तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी पार्टी को निशाने पर ले लिया है। कांग्रेस में संकट के बाद राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा कि अगर देश में भाजपा अकेली पार्टी रह गई तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा। इसकी आड़ में स्वामी ने गांधी परिवार और कांग्रेस पर भी निशाना साधा है।

File Photo: TOI

ट्वीट के माध्यम से राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक एकीकृत कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने का सुझाव दिया। उन्होंने आगे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एकीकृत कांग्रेस के साथ विलय करने का सुझाव दिया।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, “गोवा और कश्मीर के घटनाक्रम को देखने के बाद मुझे लगता है कि यदि भाजपा अकेली पार्टी के रूप में रह गई तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “उपाय? इटालियंस और वंशज को पार्टी छोड़ने के लिए कहें। इसके बाद ममता एकीकृत कांग्रेस की अध्यक्ष हो सकती हैं। उसके बाद राकांपा का भी इसमें विलय हो जाए।”

बता दें कि इस सप्ताह के शुरू में गोवा में कांग्रेस के अपने ही सदस्यों ने इसे छोड़ दिया, और नेताओं ने भाजपा दामन थाम लिया। गोवा में 10 जून को कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए। 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

इससे पहले जून में जम्मू एवं कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लिया था। कर्नाटक में भी कांग्रेस-जनता दल(सेकुलर) की गठबंधन सरकार के 16 विधायकों ने एक जुलाई से इस्तीफा दे दिया है।

राज्य में कांग्रेस के लिए संकट की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि इस्तीफा देने वाले 16 में से 13 विधायक अकेले कांग्रेस के हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को 16 जुलाई तक त्याग-पत्रों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

स्वामी ने भारत छोड़ने के दिए थे संकेत

दरअसल, सुब्रमण्यम स्वामी को मलाल है कि मोदी सरकार में उनके विचारों को तवज्जो नहीं मिल रही है। उन्होंने पिछले दिनों अपने एक ट्वीट में इसको लेकर अपना दर्ज जाहिर करते हुए कहा था कि ऐसी हालत में वह चीन जा सकते हैं। स्वामी ने 1 जुलाई को ट्वीट कर कहा था, ‘चीन की प्रसिद्ध सिंघुआ यूनिवर्सिटी ने सितंबर में मुझे स्कॉलर्स की सभा में बोलने के लिए बुलाया है। विषय है: चीन का आर्थिक विकास- 70 वर्षों की समीक्षा।’ ट्वीट में स्वामी ने आगे लिखा है, ‘चूंकि नमो (नरेंद्र मोदी) को मेरे विचारों को जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है, इसलिए मैं चीन जा सकता हूं।’

गौरतलब है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने और फिर वहां कम उम्र में पढ़ाने वाले स्वामी कई विषयों के प्रखर विद्वान हैं। स्वामी के नाम 24 साल में ही अमेरिका की प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल करने का तमगा है। वह 27 साल की उम्र में हार्वर्ड में पढ़ाने लगे थे। कभी कांग्रेस खासकर राजीव गांधी के करीबी रहे स्वामी बाद में भगवा पार्टी से जुड़ गए।

भाजपा से जुड़ने के बाद उन्होंने यूपीए चैयरमैन सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के खिलाफ अदालती मुकदमें ठोंक रखे हैं। यही नहीं, वह भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ भी काफी मुखर रहे हैं। आर्थिक मामलों की गहरी जानकारी रखने वाले स्वामी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।

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