पिछले दो साल से मदरसा शिक्षक आर्थिक तंगी से जुझ रहे हैं। देशभर के 16 राज्यों से करीब 50,000 से अधिक मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। केन्द्र की मोदी सरकार पिछले दो सालों से इनके लिए आवंटित फंड जारी नहीं किया हैं।
देश के 16 राज्यों के 50,000 से अधिक मदरसा शिक्षकों को पिछले दो सालों से केंद्र की तरफ से सैलरी नहीं मिली है जिस वजह से वे अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इनमें यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और झारखंड भी शामिल हैं जहां के मदरसा शिक्षकों को स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन (SPQEM) के तहत केंद्र की और से यह राशि उपलब्ध कराई जाती है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साल 2008-09 में मदरसाओं में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन (SPQEM)की शुरुआत की थी। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के तहत ग्रैजुएट टीचरों को छह हजार और पीजी टीचरों को बारह हजार रुपये का भुगतान केंद्र की ओर से किया जाता है। यह राशि उनके कुल वेतन का क्रमश: 75 और 80 प्रतिशत है।
इस बारें में यूपी मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार को साल मदरसों के लिए 2016-17 में 296.31 करोड़ रुपये का फंड जारी करना था, लेकिन केंद्र सरकार ने फंड जारी नहीं किया है।