राफेल मामले: रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, लीक हुए दस्तावेजों को बताया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील

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राफेल विमान सौदा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई से पहले राफेल पेपर लीक को लेकर बुधवार (13 मार्च) को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हलफनामा दायर किया है। रक्षा मंत्रालय ने शीर्ष अदालत के समझ दायर अपने हलफनामे फोटोकॉफी हुए राफेल के दस्तावेजों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद संवेदनशील बताया है।

इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच से हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी गई थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था। बता दें कि इस वक्त सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने राफेल विमान सौदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपने हलफनामे कहा है कि राफेल समीक्षा मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा संलग्न किए गए दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं जो युद्धक विमानों की युद्ध क्षमता से संबंधित हैं।

रक्षा मंत्रालय ने हलफनामे में आगे लिखा है कि जिन लोगों ने राफेल सौदे के दस्तावेज लीक करने की साजिश रची है उन्होंने दंडनीय अपराध किया है। इन लोगों ने ऐसे संवेदनशील आधिकारिक दस्तावेजों की फोटोकॉपी करवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 28 फरवरी को शुरू हुए ये मामले आंतरिक जांच का विषय बन गए हैं।

मंत्रालय ने कहा कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है। सरकार की मर्जी के बगैर राफेल के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी की गई, जो चोरी से ऑफिस से बाहर ले जाया गया। हलफनामे में आगे कहा गया है कि संप्रभुता और विदेशी संबंध पर विपरीत असर हुआ है। मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है।

बता दें कि राफेल डील से जुड़ी फाइल गायब होने पर सियासी उबाल के बीच इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सरकार की तरफ से कोर्ट को यह बताकर सनसनी फैला दी थी कि जिन दस्तावेजों पर वकील प्रशांत भूषण भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल डील से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और अदालत की अवमानना का दोषी है। हालांकि, बाद में अपने बयान पर यू-टर्न लेते हुए अटॉर्नी जनरल ने शुक्रवार को दावा किया कि राफेल से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी नहीं हुए हैं, और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए अपने जवाब में उनका मतलब था कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में ‘वास्तविक कागजातों की फोटोकॉपी’ का इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा, ‘विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान कहा गया था कि राफेल से संबंधित पेपर रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं। यह पूरी तरह गलत है। कागजात चोरी होने संबंधित बयान पूरी तरह गलत हैं।’ वेणुगोपाल ने कहा कि यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पुनर्विचार याचिका में राफेल डील से संबंधित तीन दस्तावेज पेश किए, जो वास्तविक दस्तावेजों की फोटोकॉपी थे।

 

 

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