मध्य प्रदेश: मंदसौर गोलीकांड में पुलिस को मिली क्लीनचिट, जांच आयोग ने कहा- ‘किसानों पर गोलियां चलाना जरूरी व न्यायसंगत था’

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पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड मामले में जस्टिस जेके जैन कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में सीआरपीएफ और पुलिस जवानों को क्लीन चिट दे दी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालात के मद्देनजर भीड़ को तितर-बितर करने और सुरक्षा बलों का जीवन बचाने के लिए गोली चलाना जरूरी और न्यायसंगत था। बता दें कि मंदसौर में पिछले साल 6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर सीआरपीएफ और पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी और कई अन्य किसान घायल हो गए थे।

File Photo

मी़डिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रिपोर्ट आयोग को लगभग 9 माह पहले 11 सितंबर 2017 को सौंपनी थी। उसे तीन महीने का समय दिया गया था, लेकिन जांच समय सीमा में पूरी न होने के चलते इसे 11 जून 2018 को मुख्य सचिव को सौंपा गया। समय सीमा को इस दौरान तीन बार बढ़ाया गया। दिलचस्प बात ये है कि कमीशन इस नतीजे पर 211 लोगों की गवाही के बाद पहुंचा है। जिन लोगों की गवाही ली गई थी उनमें 185 साधारण लोग और 26 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल थे।

पत्रिका के मुताबिक, रिपोर्ट में उल्लेख है कि भीड़ को तितर-बितर करने और आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना आवश्यक और न्यायसंगत था। वहीं, आयोग ने निलंबित चल रहे तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और एसपी ओपी त्रिपाठी को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया है। रिपोर्ट में केवल इतना सवाल उठाया गया है कि पुलिस और जिला प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर था। आपसी सामंजस्य नहीं होने से आंदोलन उग्र हुआ। जिला प्रशासन को किसानों की मांगों व समस्याओं की जानकारी नहीं थी। उन्होंने जानने का प्रयास भी नहीं किया।

हालांकि साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली चलाने में पुलिस ने नियमों का पालन नहीं किया। पहले पांव पर गोली चलानी चाहिए थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 जून 2017 को महू-नीमच फोरलेन के पास चक्काजाम किया गया था। असामाजिक तत्वों ने आंदोलनकारियों में शामिल होकर तोडफ़ोड़ की। दोपहर 12.30 बजे तत्कालीन सीएसपी साईं कृष्णा थोटा जवानों के साथ पहुंचे। इसी बीच आसमाजिक तत्वों ने सीआरपीएएफ एएसआइ सहित 7 जवानों को घेर लिया। उन पर पेट्रोल बम फेंके और मारपीट की।

पुलिस ने स्थिति नियंत्रण से बाहर जाते देख गोली चलाने की चेतावनी दी। उसके बाद आरक्षक विजय कुमार ने दो गोली चलाई, जिससे कन्हैयालाल और पूनमचंद की मौत हो गई। एएसआइ बी शाजी ने तीन तो अरुण कुमार ने दो गोली चलाई जो मुरली, सुरेंद्र और जितेंद्र को लगी। थाना पिपल्यामंडी में घुसकर तोडफ़ोड़ करने वालों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस आरक्षक प्रकाश ने 4, अखिलेश ने 9, वीर बहादुर ने 3, हरिओम ने 3 और नंदलाल ने 1 गोली चलाई। इसमें चैनराम, अभिषेक और सत्यनारायण मारे गए। इसके अलावा रोड सिंह, अमृतराम और दशरथ गोली लगने से घायल हुए।

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस के पास प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं था। एक बार भीड़ तितर-बितर हो गई, गोलीबारी रोक दी गई। आम आदमी पार्टी (आप) ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार से तुरंत सार्वजनिक करने की मांग की है। मध्यप्रदेश आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने कहा, ‘मंदसौर हिंसा पर जैन आयोग की रिपोर्ट तुरंत सार्वजनिक की जाए।’

उन्होंने कहा, ‘एक प्रतिष्ठित अखबार ने इस संबंध में जो खबर प्रकाशित की है, वह चौंकाने वाली है। खबर के मुताबिक पुलिस को क्लीन चिट दी गई है। इस खबर के अनुसार किसानों को तितर-बितर करने के लिए गोली चलाना न्यायसंगत था और पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए गोली चलाई।’ उन्होंने कहा, ‘खबर के मुताबिक आयोग की रिपोर्ट कहती है कि गोली चलाने में नियमों का पालन नहीं हुआ। पुलिस-प्रशासन में सामंजस्य नहीं था।’

 

 

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