महाराष्ट्र के विदर्भ जंगलों में दहशत फैलाने वाली पांच वर्षीय कथित आदमखोर बाघिन अवनि को पिछले दिनों यवतमाल जिले के बोरती गांव के समीप एक अभियान चलाकर मार गिराया गया। अवनि की हत्या पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। एक तबका ऐसा है जिसका कहना है कि जिस तरह उसे मारा गया वो क्रूरतापूर्ण और गैरजरूरी था। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है।
File Photo: Reutersशिवसेना की युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने बाघिन को मारने के लिए सरकार पर हमला बोला और इसे अवैध शिकार करार दिया। वहीं, अवनी के मारे जाने से नाराज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार के जरिए महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया है। इतना ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि यह सीधा-सीधा एक आपराधिक मामला है।
मोदी सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि अवनि की हत्या हुई है और इसके लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह से अवनि को यवतमाल में निर्दयता से मारा गया मैं उसे बहुत दुखी हूं।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कई बार कई संगठनों द्वारा अपील किए जाने के बाद भी महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुंगांटिवार ने इस बाघिन को मारने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि वो अवनि की ‘हत्या’ के मामले को कानूनी और राजनीतिक रूप से आगे ले जाएंगी।
हालांकि, मेनका गांधी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार और मोदी सरकार की मंत्री मेनका गांधी के बीच तनातनी बढ़ गई है। दरअसल, महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुंगांटिवार ने केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर कोई गलती हुई है तो इसकी जांच के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पैनल का गठन किया जाए। साथ ही उन्होंने मेनका गांधी पर तंज कसा है।
बीबीसी के मुताबिक, सुधीर ने मेनका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा है, ”आदरणीय केंद्रीय मंत्री महज 50 पैसे खर्च कर मुझे सीधे फोन कर सकती थीं ताकि पूरे मामले को समझ लेतीं। उन्हें (मेनका गांधी) सोशल मीडिया पर अधूरे सच के साथ नहीं जाना चाहिए था। इससे मेरे स्टाफ के साहस को चोट पहुंचती है जो जान को दांव पर लगाकर महाराष्ट्र में इन जानवरों की रक्षा करते हैं।”
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि आधिकारिक रूप से टी-वन नाम वाली इस बाघिन को शुक्रवार रात मार डाला गया। यह कारनामा शार्प शूटर असगर अली ने कर दिखाया। असगर, मशहूर शार्पशूटर शफत अली के बेटे हैं। इस नरभक्षी बाघिन को रालेगांव थाने की सीमा में पड़ने वाले बोराती जंगल में घेर लिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, बीते दो सालों में अवनि ने पंधरकांवड़ा जंगल में 13 लोगों का शिकार कर लिया था।
बाघिन अवनी (5) को करीब तीन महीने तक ढूंढ़ने के बाद यह अभियान चलाया गया, जिसमें वन विभाग की टीम के साथ कैमरों, ड्रोन, हैंग ग्लाइडर और खोजी कुत्तों की मदद ली गई। एक स्वस्थ बाघिन अवनी तिपेश्वर टाइगर सैंक्चुरी में 10 महीने के अपने दो शावकों की परवरिश करती थी। उसे निशानेबाज नवाब असगर अली खान ने मार गिराया। इस सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे गोली मारी जा सकती है।
इसके बाद उसे माफी देने की ऑनलाइन याचिकाओं की बाढ़ आ गई थी। इस बाघिन को नवीनतम तकनीक की मदद से पकड़ने के लिए तीन महीने से ज्यादा समय से कोशिशें हो रही थीं। वनाधिकारियों ने प्रशिक्षित श्वान दस्ते, ट्रैप कैमरे, ड्रोन, हैंग ग्लाइडर, विशेषज्ञ ट्रैकर्स, शार्प शूटरों और 200 लोगों को इस अभियान में शामिल किया गया था। अधिकारियों ने बताया, ‘‘दूसरी बाघिन के मूत्र और अमेरिकी इत्र को इलाके में छिड़का गया, जिसे सूंघते हुए अवनि वहां आ पहुंची।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वन अधिकारियों ने पहले उसे जिंदा पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन घना जंगल और अंधेरा होने की वजह से ऐसा नहीं हो सका, आखिरकार एक गोली दागी गई और बाघिन ढेर हो गई।’’ उन्होंने बताया, ‘‘जब उसने हिलना डुलना बंद कर दिया तो वन अधिकारी उसके पास गये और बाद में उसे नागपुर अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
महाराष्ट्र सरकार की आलोचना
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी शिवसेना, केंद्र की मोदी सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी और कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है। मेनका गांधी ने कहा था कि अवनि की हत्या हुई है और इसके लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार है। वहीं, शिवसेना की युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने बाघिन को मारने के लिए सरकार पर हमला बोला और इसे अवैध शिकार करार दिया।
वहीं, आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को अवनी के मारे जाने में आरोपी करार दिया। जबकि पेटा इंडिया के कॉर्डिनेटर मीत अशर ने कहा, “इस मामले की जांच होनी चाहिए और इसे वन्यजीव अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए। चाहे इसकी मंजूरी राज्य द्वारा दी जाए या नहीं, कोई भी कानून से बड़ा नहीं है। यह हमारे देश के लिए एक काला दिन है।”