भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रखर वक्ता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2019 में होने वाले अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है। मंगलवार (20 नवंबर) को की गई इस घोषणा के लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया है। स्वराज ने कहा कि वैसे तो मेरी चुनावी उम्मीदवारी तय करने का अधिकार मेरी पार्टी को है। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मैंने अपना मन बना लिया है कि मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। आपको बता दें कि सुषमा 2009 से ही लोकसभा में मध्य प्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
सुषमा स्वराज के इस फैसले ने भले ही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को निराश किया हो, लेकिन विदेश मंत्री के पति स्वराज कौशल ने मंगलवार को उनके 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने एक के बाद सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “मैडम (सुषमा स्वराज) अब और चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे याद है कि एक वक्त ऐसा आया था, जब मिल्खा सिंह ने दौड़ना बंद कर दिया था।”
स्वराज कौशल ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “यह दौड़ 1977 से शुरू हुई थी…इसे 41 साल हो गए। आपने लगातार 11 चुनाव लड़े हैं। मतलब आपने 1977 के बाद से सभी चुनाव लड़े हैं। सिर्फ दो बार 1991 और 2004 में पार्टी ने आपको चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी।”
कौशल ने कहा, “आप (सुषमा स्वराज) लोकसभा में चार बार, राज्यसभा में तीन बार और राज्य विधानसभा में तीन बार निर्वाचित हुईं। आप 25 साल की उम्र से चुनाव लड़ रही हैं और 41 साल चुनाव लड़ना एक मैराथन की तरह है।” उन्होंने कहा, “मैडम मैं आपके पीछे बीते 46 वर्षो से भाग रहा हूं। मैं अब 19 साल का नहीं रहा। कृपया मेरी भी सांस फूल चुकी है। धन्यवाद।”
अपने संसदीय क्षेत्र नहीं पहुंचने पर स्वास्थ्य कारणों को दिया हवाला
बीजेपी की की 66 वर्षीय नेता सुषमा ने कहा, “विदिशा से वर्ष 2009 में लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद मैं सदन की नेता प्रतिपक्ष और इसके पश्चात विदेश मंत्री के अहम पदों पर आसीन होने के बावजूद आठ साल तक अपनी संसदीय सीट के आठों विधानसभा क्षेत्रों में हर महीने नियमित तौर पर जाती थी। लेकिन दिसंबर 2016 में गुर्दा प्रतिरोपण के बाद मुझे डॉक्टरों ने धूल से बचने की हिदायत दी है। इस कारण मैं पिछले एक साल से चुनावी सभाओं में भी भाग नहीं ले पा रही हूं।”
उन्होंने कहा, “मैं स्वास्थ्य कारणों से खुले स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकती हूं। मैं बंद सभागारों में ही कार्यक्रम कर सकती हूं। मैंने अपने नेतृत्व से भी कहा है कि अपने स्वास्थ्य को देखते हुए मुझे धूल से बचना है।” स्वराज ने कहा, “मैं विदेश तो जा सकती हूं। लेकिन धूल से बचने की डॉक्टरों की हिदायत के कारण विदिशा नहीं जा सकी, क्योंकि कुछेक कस्बों को छोड़कर मेरा पूरा संसदीय क्षेत्र देहाती है।” दरअसल, पिछले कुछ समय में विदिशा क्षेत्र में स्वराज के नहीं पहुंचने पर नाराज लोगों ने लोकसभा सांसद को “गुमशुदा” बताते हुए पोस्टर लगाये थे।
इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “अगर मेरे विरोधी मेरे स्वास्थ्य के प्रति इस कदर संवेदहीन होकर ऐसे पोस्टर लगाते हैं, तो मुझे इस पर कुछ नहीं कहना।” उन्होंने कहा, “‘मेरा रिकॉर्ड मध्यप्रदेश की ऐसी लोकसभा सांसद का रहा है, जिसने अपने क्षेत्र का सबसे ज्यादा दौरा किया है। पिछले दो साल के दौरान मैं भले ही अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा नहीं कर सकी हूं। लेकिन मैंने विदिशावासियों से किए गए सारे वादे दिल्ली में बैठकर पूरे किए हैं।” स्वराज ने कहा, “बुधनी-इंदौर रेललाइन को मंजूरी दिलाने का वायदा भी मैंने आगामी चुनावों से पहले पूरा कर दिया है।”
हिंदी की प्रखर वक्ता
स्वराज हिन्दी की प्रखर वक्ता हैं और एक सांसद एवं मंत्री के रूप में उन्होंने संसद एवं विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रभावी भाषण हिन्दी में दिए हैं। वह अंग्रेजी में उसी सहजता के साथ भाषण देती हैं किंतु वह प्राय: हिन्दी में ही बोलना पसंद करती हैं। बीजेपी नेता के नाम देश में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है। वह हरियाणा सरकार में 1977 में महज 25 वर्ष की आयु में कैबिनेट मंत्री बनी थीं।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
विदेश मंत्री को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हासिल है। स्वराज भारत की पहली महिला विदेश मंत्री थीं। इससे पहले इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए यह दायित्व निभाया था। स्वराज तीन बार राज्यसभा सदस्य और अपने गृह राज्य हरियाणा की विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुकी हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री के रूप में संभाली थी। उन्होंने 1999 में बेल्लारी लोकसभा चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरूद्ध लड़ा था। हालांकि वह यह चुनाव सोनिया गांधी के हाथों हार गयी थीं। सुषमा को बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का करीबी माना जाता है। सुषमा लोकसभा में 2009-14 के बीच नेता प्रतिपक्ष थीं।