केंद्र सरकार ने अचानक कदम उठाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को शुक्रवार को पद से हटाते हुए उन्हें अग्नि सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक नियुक्त किया है। ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी राव सीबीआई के अंतरिम प्रमुख का पद दो बार संभाल चुके हैं।
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, उन्हें सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के पद से हटाकर अग्नि सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। सरकार ने एजेंसी के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और उनके सहयोगी राकेश अस्थाना के बीच गहरे मतभेदों के बीच दोनों को हटाने का निर्णय किया था।
सीबीआई के दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सरकार ने इस साल फरवरी में ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया निदेशक नियुक्त करने से पहले राव को प्रभार सौंपा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के विवाद में फैसला सुनाते हुए आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के तौर पर बहाल किया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राव को अंतरिम चीफ के पद से हटना पड़ा था।
M Nageswar Rao, Additional Director, CBI has been appointed as the Director General of Fire Services, Civil Defence & Home Guard.
— ANI (@ANI) July 5, 2019
इसके बाद सरकार ने आलोक वर्मा का ट्रांसफर फायर डिपार्टमेंट में बतौर डीजी कर दिया था। वर्मा ने इस पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और दो दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सरकार ने फिर से एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम चीफ की जिम्मेदारी सौंपी। राव को फरवरी में नए सीबीआई डायरेक्टर ऋषि शुक्ला की नियुक्ति तक इस पद पर रखा गया था। शुक्ला की नियुक्ति के बाद उन्हें सीबीआई में ही अतिरिक्त निदेशक की जिम्मेदारी दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में झेलनी पड़ी थी शर्मिंदगी
एम. नागेश्वर राव को उस समय सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ी थी, जब उन्होंने बिहार के चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले की जांच कर रहे अधिकारी का तबादला किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा था कि जांच अधिकारी का ट्रांसफर क्यों किया गया? कोर्ट ने कहा था कि क्या एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खेल रही है? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राव के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी जारी किया था। इसके बाद राव बगैर शर्त माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने जानबूझकर अदालत की अवमानना नहीं की है। लेकिन कोर्ट ने उन्हें सजा के तौर पर दिन भर कोर्ट में बैठने और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।