सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की। इस हत्याकांड मामले में यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। जिस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि शीर्ष अदालत ने ‘सीलबंद लिफाफे के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।’
फाइल फोटोसाल्वे के सबमिशन पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, “आखिरी मिनट पर अगर यह दाखिल किया गया है तो हम इसे कैसे पढ़ेंगे?” लाइवलॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई रमना ने कहा, “कल रात 1 बजे तक हमने इंतजार किया, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।”
साल्वे ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने इस घटना पर एक सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। बार और बेंच की वेबसाइट के अनुसार, CJI रमना ने कहा, “नहीं, इसकी आवश्यकता नहीं थी और हमें अभी यह प्राप्त हुआ है।” न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “हमने सीलबंद लिफाफे के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।”
CJI रमना ने साल्वे से पूछा, “आपने कहा था कि आपने 34 गवाहों से पूछताछ की है। 4 के बयान दर्ज किए गए हैं। अन्य गवाहों के बयान क्यों दर्ज नहीं किए गए?” साल्वे ने जवाब दिया, “यह चल रहा है … आज तक, 10 आरोपी हैं। 2 अपराध हैं, पहला वह है जहां उन्होंने किसानों की जान गयी। और दूसरा एक जिसमें एक शख़्स की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।
बेंच की तीसरी जज जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि यूपी सरकार लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्याओं की जांच में देरी कर रही है। राज्य सरकार की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि आप इस में जान बूझ कर देरी कर रहे हैं, कृपया उस धारणा को दूर करें।”
साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को अगले सप्ताह तक के लिए स्थगित करने को कहा। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की।
गौरतलब है कि, किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने विरोध कर रहे किसानों को कुचल दिया था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
इन वाहनों के काफिले से एक कार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की भी थी। मिश्रा के बेटे आशीष को घटना से संबंधित हत्या में नामित होने के पांच दिन बाद 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। आशीष की गिरफ्तारी 12 घंटे की पुलिस पूछताछ के बाद हुई थी। मारे गए किसानों के परिवारों ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया था कि आशीष उस लीड एसयूवी के अंदर था, जिसने किसानों को कुचल दिया था।
इस हिंसा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक और चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी।