बीमारी से बेहाल गरीब जनता सरकार से पूछना चाहती है कि आखिर कब तक ये गरीबी की जिंदगी में बीमारी से पीड़ित होकर अस्पतालों के गेट के बाहर सिसकते रहेंगे, और गरीबों के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सरकारी योजनाए केवल सरकारी आंकडो का पेट भरने मात्र रहेंगी । एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में पति को पत्नी का उपचार खून बेचकर कराना पड़ रहा है।
ग्राम मेहरघट्टी निवासी गोरेलाल पत्नी रमिला को प्रसूति के लिए जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में लेकर आया था। गोरेलाल ने बताया कि वह 10 दिनों से मेटरनिटी वार्ड में बच्चों के साथ प्रसूति के लिए इंतजार कर रहा है, लेकिन वार्ड की बदहाल व्यवस्था के कारण पत्नी को न तो वार्ड में भर्ती किया गया और न ही समय पर उसका उपचार किया जा रहा है। उसके पास बीपीएल कार्ड भी नहीं है।
गोरेलाल ने बताया कि पत्नी की दवाइयां और इंजेक्शन पर करीब दो हजार रुपए खर्च हो गए हैं। वहीं तीन बच्चों को भी भर भेट भोजन नहीं मिल पाया है। अब उपचार के लिए रुपए नहीं होने पर एक व्यक्ति को खून दिया। उसके बदले संबंधित व्यक्ति ने 500 रुपए दिए। उससे ही पत्नी का इलाज करा रहा हूं।
लगातार आ रहे ऐसे मामलों से सरकार को गरीबों के लिए कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की नौबत किसी के लिए नहीं आए अभी कुछ दिनों पहले ही ओडिशा के दाना मांझी नाम के व्यक्ति को अपनी पत्नी का शव 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोना पड़ा था क्योकि उसके पास ऐंम्बुलेंस के लिए पैसे नहीं थे।