कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल को लेकर उपजे विवाद के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहली बार स्वीकार किया है कि अटवाल वैध वीजा लेकर भारत आया था। विदेश मंत्रलय ने बताया कि इस मामले में की गई पड़ताल के बाद पता चला है कि अटवाल वैध वीजा दस्तावेज के जरिए भारत आया था। विदेश मंत्रलय ने अटवाल की भारत में मौजूदगी को लेकर सफाई भी दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अटवाल वैध वीजा पर भारत आया था। इस तरह की वीजा नीति के पीछे सरकार का मकसद ऐसे लोगों को भारतीय समुदाय से जोड़ना है, जिन्हें विचारधारा या धर्म के नाम पर भटकाया गया है। रवीश कुमार ने कहा कि सरकार की प्रवासी भारतीयों तक पहुंचने की एक सचेत नीति है इसमें गुमराह तत्वों तक पहुंच बनाना भी शामिल है।
प्रवक्ता ने कहा कि अटवाल ने अतीत में भले ही भारत विरोधी भावनओं को बढ़ावा दिया हो लेकिन बाद में उन्होंने यह विचार त्याग दिए। प्रवक्ता ने कहा कि जसपाल अटवाल ने वैध वीजा पर भारत की यात्र की थी। यह उसकी पहली भारत यात्रा नहीं थी। वह जनवरी 2017 से कई बार देश की यात्रा कर चुका है। उन्होंने बताया कि विदेशी यात्रियों को वीजा देने की एक प्रक्रिया है और इसका अनुसरण इस मामले में भी किया गया है।
दरअसल, पहले दावा किया जा रहा था कि अटवाल ने संभवत: ई-वीजा हासिल कर भारत आया था, लेकिन यह गलत साबित हुआ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि, हमने अटवाल के भारत आने के लिए मिले वीजा की जांच करवाई है और यह तथ्य सामने आया है कि वह एक वैध वीजा पर भारत आए हैं। वह इस यात्रा से पहले जनवरी, 2017 में दो बार और भारत आ चुके हैं।
ट्रूडो को भारत में शर्मिंदा करने के लिए मांगी माफी
इस बीच आतंकवाद के जुर्म में सजायाफ्ता जसपाल अटवाल ने मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को हुई शर्मिंदगी के लिए माफी मांगी है। अटवाल ने इस बात पर जोर दिया कि वह अब सिख स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन नहीं करता। कई दिनों की चुप्पी के बाद अटवाल ने शुक्रवार को वैंकुवर में अंतत: अपने वकील के कार्यालयमें अपनी स्थिति स्पष्ट की।
अटवाल ने एक लिखित बयान पढ़ते हुए कहा कि उसके एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ तो उसे हैरानी हुई थी। अटवाल ने कहा कि मैंने यह माना था कि कोई समस्या नहीं होगी। किसी ने भी मुझसे यह नहीं कहा कि कोई मुद्दा पैदा होगा। स्टार डाट काम ने अटवाल के हवाले से कहा कि इस मामले को लेकर कनाडा, भारत, मेरे समुदाय और परिवार एवं मित्र को जो शर्मिंदगी हुई है उसके लिए मुझे खेद है।
बता दें कि अटवाल को लेकर विवाद पिछले महीने उत्पन्न हुआ था जब ट्रूडो की भारत की पहली राजकीय यात्रा के दौरान मुम्बई में एक कार्यक्रम में वह (अटवाल) कनाडा की प्रधानमंत्री की पत्नी सोफी ग्रेगोइरे एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक तस्वीर में नजर आया था। अटवाल को ट्रूडो की सप्ताह भर की भारत यात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग में आयोजित रात्रिभोज में भी आमंत्रित किया गया था। आमंत्रण बाद में वापस ले लिया गया था।
62 वर्षीय अटवाल एक सिख अलगाववादी था जो प्रतिबंधित सिख यूथ फेडरेशन में सक्रिय था। उसे 1986 में वैंकुवर में पंजाब के मंत्री मल्कियत सिंह सिद्धू की हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे 20 वर्ष की जेल की सजा हुई थी। बाद में उसे 1990 के दशक के शुरूआत में पैरोल पर रिहा किया गया। ट्रूडो के एक कार्यक्रम में अटवाल की मौजूदगी पर काफी बवाल हुआ था और कनाडा के पीएम की भी आलोचना हुई थी।