केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने बुधवार को कहा कि कठोर यूएपीए के तहत सात महीने से अधिक समय तक जेल में बंद रहने के बावजूद उन्हें भारतीय संविधान में अभी भी विश्वास है। बता दें कि, उत्तर प्रदेश की मथुरा अदालत ने सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य लोगों को शांति भंग करने के आरोप से मंगलवार को मुक्त कर दिया क्योंकि यूपी पुलिस इस मामले की जांच तय छह महीने में पूरा नहीं कर पाई।
पत्रकारों से बात करते हुए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने कहा, “फर्जी मामला… मुझे न्याय चाहिए। मुझे अभी भी हमारे संविधान में भरोसा है।” निडर पत्रकार ने कहा आगे कहा, “लेकिन न्याय में देरी हुई। यह फर्जी मामला है, पूरी तरह फर्जी मामला है, न्याय चाहिए।”
I still believe in constitution, powerful words by journalist #SiddiqueKappan, who was arrested by UP Police in October 2020 and charged under draconian UAPA when he was on his way to Hathras to cover gangrape of Dalit teenager, who later died. pic.twitter.com/FDmP85g6C9
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) June 16, 2021
बचाव पक्ष के वकील मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि उप संभागीय मजिस्ट्रेट राम दत्त राम ने मंगलवार को आरोपियों अतिकुर्रहमान, आलल, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और मसूद को आरोप मुक्त कर दिया। मंट के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट राम दत्त राम ने सीआरपीसी की धारा 116 (6) के तहत निर्धारित छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर पुलिस द्वारा कप्पन के खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रहने के कारण शांति भंग के आरोप को रद्द किया है।
बता दें कि, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और उनके कथित सहयोगियों को पांच अक्टूबर 2020 को यूपी पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उसके गांव जा रहे थे। सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य की गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था।
मलयालम समाचार पोर्टल Azhimukham के रिपोर्टर और केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीकी की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्थानांतरित करना पड़ा था जब वह जेल के बाथरूम में गिर गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में यूपी सरकार को सिद्दीकी को तुरंत बेहतर इलाज के लिए एम्स में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। बाद में उन्हें यूपी पुलिस मथुरा जेल ले गई।