बॉम्बे हाई कोर्ट ने मध्यस्थ के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) से डेक्कन चार्जर्स फ्रेंचाइजी टीम को कथित तौर पर गैरकानूनी रूप से बर्खास्त करने के लिए उसके स्वामित्व वाले डेक्कन क्रोनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (डीसीएचएल) को 4800 करोड़ रुपये का भुगतान का निर्देश दिया गया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति गौतम पटेल की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने पिछले साल जुलाई के आदेश को खारिज कर दिया। यह आदेश उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एकल मध्यस्थ ने दिया था जिसे यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि 2012 में आईपीएल के पांचवें सत्र के दौरान फ्रेंचाइजी को रद्द करना गैरकानूनी था या नहीं।
मध्यस्थ ने बर्खास्तगी को गैरकानूनी करार देते हुए बीसीसीआई को डीसीएचएल को 4814.67 करोड़ रुपये मुआवजे के अलावा 2012 से 10 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करने को भी कहा था।
दरअसल, आईपीएल 2009 की चैंपियन टीम डेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई पर आरोप लगाया था कि उसे गलत तरीके से आईपीएल से बाहर किया गया। 2012 में बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था, जिसके बाद हैदराबाद की फ्रेंचाईजी डेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।
मीडियो रिपोर्ट के अनुसार, डेक्कन और बीसीसीआई के बीच 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था, लेकिन बीसीसीआई 2012 में डेक्कन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और बाद में निलंबित कर दिया।