‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर किए गए खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। कांग्रेस राफेल डील पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बख्शने के मूड में नहीं हैं। ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा उठाए गए सवाल के बाद सरकार और विपक्ष के बीच सौदे को लेकर घमासान जारी है। एक ओर जहां केंद्र सरकार इस सौदे को गोपनीयता का हवाला देकर सार्वजनिक करने से बच रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसमें घोटाले का आरोप लगा रही है।
इस बीच अब आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी राफेल में हुए कथित घोटालों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस के साथ आ गए हैं। इसकी शुरूआत करते हुए सीएम केजरीवाल ने शनिवार (8 सितंबर) को ट्वीट कर राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला।
केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, “देश की जनता जानना चाहती है – राफ़ेल घोटाले का पैसा किसकी जेब में गया?”
देश की जनता जानना चाहती है – राफ़ेल घोटाले का पैसा किसकी जेब में गया?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 8, 2018
बता दें कि ‘जनता का रिपोर्टर’ ने राफेल विमान सौदे को लेकर दो भागों (पढ़िए पार्टी 1 और पार्टी 2 में क्या हुआ था खुलासा) में बड़ा खुलासा किया था। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भुचाल आ गया। कांग्रेस राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर सीधे तौर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ की खबर को शेयर कर कई बार मोदी सरकार पर हमला बोल चुके हैं।
‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा से किया समझौता’’
राफेल सौदे को लेकर बीजेपी के खिलाफ हमले तेज करते हुए शनिवार को कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछा कि लड़ाकू विमान का मूल्य कैसे बढ़ गया जबकि इसके लिए किया गया ‘भारत-विशिष्ट उन्नयन’ वहीं है जो संप्रग शासनकाल के दौरान तय हुआ था। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस पर जवाब मांगते हुए पूछा कि जब इससे जुड़ी प्रणाली और हथियार वहीं है जिसे संप्रग शासनकाल में भारतीय वायु सेना ने मंजूरी दिए थी तो प्रति विमान लागत कैसे बढ़ गई।
कांग्रेस नेता ने राजग सरकार पर ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता’’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कैसे भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कथित तौर पर ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को कैसे छोड़ दिया और राफेल सौदे के तहत विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 कर दी। सुरजेवाला ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मोदी और सीतारमण ने संसद के भीतर और बाहर जिस ‘भारत-विशिष्ट उन्नयन’ का जिक्र किया था वे वही हैं, जिस पर कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार द्वारा 126 राफेल लड़ाकू विमानों की निविदा जारी करने से पहले वायु सेना ने निर्णय किया था।’’
उन्होंने दावा किया कि संप्रग शासन के दौरान हवाई कर्मचारियों की गुणात्मक आवश्यकताओं के तहत 13 भारत-विशिष्ट उन्नयनों का फैसला किया गया था। इनमें रडार उन्नयन, हेल्मेट-माउंटेड डिस्प्ले,टोड डिकाय सिस्टम,लो-बैंड जैमर, रेडियो एलिमीटर और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बनी एयरफील्ड में परिचालन की क्षमता शामिल थी। कैथल से विधायक सुरजेवाला ने कहा, ‘‘अगर यह विशेष विवरण संप्रग सरकार के दौरान पहले से ही तय हो गए थे और इन्हीं पर मोदी सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा किया तो फिर जनता को 41,000 करोड़ रुपए का नुकसान कैसे पहुंचाया गया?’’
उन्होंने मोदी सरकार को यह दावा करने के लिए आड़े हाथ लिया कि संप्रग शासनकाल के दौरान राफेल सौदे के तहत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कोई करार नहीं हुआ था। कांग्रेस ने कहा कि पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार संप्रग सरकार के शासन में जारी की गयी आरपीएफ प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री के ‘झूठों’ को पूरी तरह बेनकाब करता है। वर्ष 2019 में सत्ता में आने पर कांग्रेस के इस सौदे की समीक्षा करने के सवाल पर सुरजेवाला ने कहा कि यदि इस सरकार ने मामले पर संयुक्त संसदीय समिति का गठन नहीं किया तो जांच की जाएगी।