जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य में हालात सामान्य बनाने की कोशिश लगातार जारी है। कश्मीर में लगी पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही हैं। इसी बीच, कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) ने घाटी में ‘अप्रत्याशित संचार पाबंदी’ को लेकर गंभीर चिंता प्रकट की और कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को कथित रूप से सरकारी आवास खाली करने के लिए कहे जाने पर प्रशासन की आलोचना की।

केपीसी ने कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि पत्रकारों को झुकाने पर केंद्रित उत्पीड़न है। कश्मीर में मीडिया और पत्रकारों पर लगी पाबंदियों की निंदा करते हुए क्लब की कार्यकारी समिति ने अपनी बैठक में कहा कि ‘अप्रत्याशित संचार पाबंदी’ के चलते मोबाइल, इंटरनेट एवं लैंडलाइन के प्रभावित रहने से पत्रकारों का कामकाज ठप्प पड़ गया है और वे जमीनी स्थिति के बारे में रिपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं।
उसने एक बयान में कहा कि पांच अगस्त को संचार पाबंदी लगने के बाद से क्लब ने कई बार प्रशासन के सामने यह मुद्दा उठाया और पत्रकारों एवं मीडिया संगठनों के लिए मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन बहाल करने की अपील की लेकिन सारे प्रयास व्यर्थ गये। बयान में कहा गया है, ‘‘कश्मीर प्रेस क्लब मांग करता है कि सरकार पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए इंटरनेट और टेलीफोन सुविधा बहाल करे।’’
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले से पहले चार अगस्त की आधी रात से ही राज्य में मोबाइल फोन, इंटरनेट, लैंडलाइन सेवाओं सहित टेलीफोन सेवाएं स्थगित कर दी गई थीं। (इंपुट: भाषा के साथ)