जस्टिस चेलमेश्वर के बाद अब कुरियन जोसेफ ने भी CJI दीपक मिश्रा को लिखी चिट्ठी, बोले- ‘खतरे में है सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व’

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तीन महीने पहले हुए जज विवाद के बाद लगता है अभी भी सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों में से एक जस्टिस कुरियन जोसेफ ने स्वतंत्र न्यायपालिका को लेकर बड़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्‍वर के सवाल उठाने के बाद अब जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा को चिट्ठी है।

PHOTO: Indian Express

कुरियन जोसेफ ने अपनी चिट्ठी में कॉलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र के रवैए पर भी नाराजगी जताई है। साथ ही पत्र में जस्टिस जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व को खतरे में बताते हुए कोर्ट से कोलेजियम की अनुशंसा के बाद भी जजों की नियुक्ति में देरी पर पहल करने का आग्रह किया है। चिट्ठी में जस्टिस जोसेफ ने लिखा है कि महीनों पहले की गई कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार कार्रवाई करने के बजाय चुपचाप फाइल दबाए बैठी है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है इस बाबत सुप्रीम कोर्ट सरकार से सवाल पूछे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की साख भी दांव पर लगी है।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक जस्टिस जोसेफ ने CJI दीपक मिश्रा को संबोधित पत्र मे लिखा है कि, ‘अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा।’ बता दें कि कलीजियम ने फरवरी में वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की अनुशंसा की थी। कड़े शब्दों में लिखे गए इस पत्र में जस्टिस जोसेफ ने अपील की है, ‘इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब कलीजियम की अनुशंसा के तीन महीने बाद भी यह पता नहीं है कि उसका क्या हुआ।’

उन्होंने सीजेआई मिश्रा से आग्रह किया कि वह सरकार द्वारा इन दो नामों को हरी झंडी नहीं देने के कारण सुप्रीम कोर्ट के सात वरिष्ठतम जजों की पीठ का गठन कर मामले का स्वत: संज्ञान लें। जस्टिस कुरियन ने सीजेआई से तत्‍काल हस्‍तक्षेप करने की अपील करते हुए यह भी कहा कि, ”गर्भावस्‍था की अवधि पूरी होने पर यदि नॉर्मल डिलीवरी नहीं होती तो सिजेरियन ऑपरेशन की तत्‍काल जरूरत होती है। यदि सही समय पर ऑपरेशन नहीं होता तो गर्भ में ही नवजात की मौत हो जाती है।”

इसके साथ ही जस्टिस कुरियन ने यह चेतावनी भी दी, ”इस कोर्ट की गरिमा, सम्‍मान और आदर दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है क्‍योंकि इस कोर्ट की अनुशंसाओं को अपेक्षित समयावधि के भीतर हम तार्किक निष्‍कर्षों तक पहुंचाने में सक्षम नहीं रहे हैं।” इस पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के अन्‍य 22 जजों को भी भेजी गई। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने भी CJI को पत्र लिखकर उनसे न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाने पर विचार करने को कहा था।

न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने 21 मार्च को लिखे पत्र में आगाह किया, ‘न्यायपालिका और सरकार के बीच किसी भी तरह का भाईचारा लोकतंत्र के लिए मौत की घंटी है।’ गौरतलब है कि 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम. बी. लोकुर और कुरियन जोसफ) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई मुद्दों को उठाया था, जिनमें अहम और संवेदनशील जनहित याचिकाओं के आवंटन का मुद्दा भी शामिल था। जजों ने सीजेआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि वह अहम मामलों को ‘पसंद की बेंचों’ में भेज रहे हैं।

 

 

 

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