‘आधार एक्ट को मनी बिल के रूप में पास करना संविधान के साथ धोखा है’, इस टिप्पणी के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ को लोगों ने हीरो के रूप से किया स्वागत

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 सितंबर) को केंद्र की प्रमुख योजना आधार की वैधता पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है लेकिन बैंक खाता खोलने, मोबाइल सिम लेने तथा स्कूलों में नामांकन के लिए इसकी अनिवार्यता समाप्त कर दी है। शीर्ष अदालत की संवैधानिक बेंच ने बहुमत से कहा कि आधार नंबर संवैधानिक रूप से वैध है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की संविधान पीठ ने बुधवार (26 सितंबर) को बहुमत के फैसले में आधार कानून को वैध ठहराया लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया।

एक तरफ जहां पांच जजों की पीठ में से चार जजों ने आधार की वैधता को संवैधानिक ठहराया, वहीं आधार की अनिवार्यता और उससे निजता के उल्लंघन पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे अलग राय जताते हुए आधार को असंवैधानिक करार दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार एक्ट को मनी धन विधेयक की तरह पास करना संविधान के साथ धोखा है।

आधार मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम को मनी बिल यानी धन विधेयक के रूप में नहीं लिया जा सकता। साथ ही न्यायमूर्ति ने कहा कि इसे मनी बिल के रूप में पारित करना संविधान के साथ एक धोखा होगा।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार एक्ट को राज्यसभा से बचने के लिए धन विधेयक की तरह पास करना संविधान से धोखा है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 का उल्लंघन है। उन्होंने अपने एक अलग फैसले में कहा, “आधार अधिनियम को मनी बिल के रूप में नहीं लिया जा सकता। एक ऐसा विधेयक, जो कि मनी बिल नहीं है, उसे मनी बिल के रूप में पारित करना संविधान के साथ धोखा है।”

न्यायमूर्ति ने कहा कि एक विधेयक को मनी बिल के रूप में लिया जाए, या नहीं, इस पर लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को न्यायिक समीक्षा के लिए भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा, “आधार को मनी बिल के रूप में नहीं लाया जाना चाहिए था। सदन का अध्यक्ष राज्यसभा की शक्तियों को नहीं छीन सकता, जो कि संविधान की एक रचना है। कोई शक्ति पूर्ण नहीं है।”

उन्होंने कहा, “नियामकीय और निगरानी कार्ययोजना की अनुपस्थिति डेटा की सुरक्षा में इस कानून को अप्रभावी बनाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि आधार योजना के तहत जुटाए गए डेटा के आधार पर लोगों की निगरानी का एक जोखिम भी है और इससे डेटा का दुरुपयोग भी किया जा सकता है।

पीठ के अधिकांश न्यायाधीशों ने आधार को आयकर रिटर्न भरने के साथ जोड़ने को बरकरार रखा, जबकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इसे पैन और आईटीआर के साथ जोड़ने की बात खारिज कर दी। उन्होंने कहा, “मोबाइल सिम के साथ आधार को जोड़ने से व्यक्तिगत आजादी को एक गंभीर खतरा है और इसे समाप्त किए जाने की जरूरत है।”

न्यायमूर्ति ने कहा, “1.2 अरब लोगों के डेटा की सुरक्षा करना राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसे एक अनुबंध के जरिए किसी संस्था को नियंत्रित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।” चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम का उद्देश्य वैध है, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें सूचित सहमति और व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त मजबूत सुरक्षा उपाय नहीं हैं।

देखिए, लोगों की प्रतिक्रिया

जानें, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कहां जरूरी और कहां नहीं?

  • पैन कार्ड के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा
  • आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भी आधार नंबर जरूरी होगा
  • सरकार की लाभकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ पाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य होगा
  • मोबाइल सिम कार्ड के लिए आधार जरूरी नहीं
  • बैंक खाता खोलने के लिए आधार अनिवार्य नहीं
  • स्कूल एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं, यानी अब जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं होगा, वह भी आसानी से स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं
  • सीबीएसई, नीट और यूजीसी की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं
  • निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने वाले आधार कानून के प्रावधान 57 को रद्द कर दिया है, यानी अभ निजी कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं
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