महाराष्ट्र के 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अभियोजन पक्ष ने कहा है कि धमाके के बाद मिली एक मोटरसाइकिल भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी। बता दें कि मालेगांव बम विस्फोट मामले में लंबे समय तक कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुकीं भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा इस मामले में अभियुक्त हैं और इस समय जमानत पर जेल से बाहर हैं।

सोमवार को मुंबई की एक विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान सबूत के तौर पर अदालत के सामने दो मोटरसाइकिलें और पांच साइकिलें पेश की गईं। एक चश्मदीद ने उस मोटरसाइकिल की पहचान की जो धमाके की जगह के करीब थी। इस बाइक की मालिक कथित रूप से साध्वी प्रज्ञा हैं। कथित तौर पर वह मोटरसाइकिल उनके नाम पर रजिस्टर्ड (पंजीकृत) थी। वह इसी मामले में आरोपी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विस्फोट स्थल से दो बाइकें और पांच साइकलों को जब्त किया गया था। इन्हें एक टैम्पो में रखकर दक्षिण मुंबई की सत्र अदालत लाया गया जहां विशेष एनआईए न्यायाधीश विनोद पडलकर ने इनका परीक्षण किया। न्यायाधीश, वकील और गवाह बाइकों और साइकिलों का परीक्षण करने के लिए टैम्पो पर चढ़ें। गवाह ने यह शिनाख्त कर दी की उसने 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में विस्फोट के दिन घटनास्थल यह बाइक देखी थी। इस बाइक की मालिक कथित रूप से ठाकुर है। बता दें कि मालेगांव नासिक जिले का शहर है।
अभियोजन के मुताबिक, बम में आईईडी से विस्फोट किया गया था और इसे सुनहरे रंग की एलएमएल फ्रीडम बाइक पर रखा गया था जो ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है। ठाकुर अब भोपाल से भाजपा की सांसद है। मामले की शुरू में जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी और उसने दावा किया था कि ठाकुर ने अपने करीबी सहयोगी रामजी कलसांगरा को विस्फोट करने के लिए बाइक दी थी। कलसांगरा अब भी फरार है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2011 में एटीएस से जांच अपने हाथों में ले ली थी। एनआईए ने 2016 में दायर अपने पहले अनुपूरक आरोप पत्र में ठाकुर को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। एनआईए ने कहा कि उनसे एटीएएस की ओर से रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों का फिर से मूल्यांकन किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि ठाकुर के नाम पर पंजीकृत बाइक उसके कब्जे में नहीं थी और इसका इस्तेमाल दो साल से कलसांगरा कर रहा था।
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि ठाकुर का विस्फोट से संबंध नहीं है। ठाकुर ने विशेष अदालत से आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने के लिए एनआईए की इसी दलील को आधार बनाया था, लेकिन 27 दिसंबर 2017 को अदालत ने ठाकुर की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल गाड़ी ठाकुर की है और आरटीओ रिकॉर्ड में ठाकुर के नाम पर है। (इनपुट- भाषा के साथ)