नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में मथुरा के चर्चित जवाहर बाग हिंसा मामले में गुरुवार(2 मार्च) को अखिलेश सरकार को झटका लगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह इस कांड की जांच के लिए एक स्पेशल टीम का गठन करे और फौरन जांच शुरू करे। अदालत ने दो महीने में इस मामले में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
फाइल फोटो।भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और इस हिंसा में शहीद हुए डिप्टी एसपी मुकुल दिवेदी की पत्नी अर्चना दिवेदी की तरफ से दायर याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि मामले की जांच में राज्य सरकार आरोपियों को बचा रही है।
साथ ही इस हिंसा के इतने बड़े मामले में सरकार ने एक भी आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। सरकार पर आरोप है कि इस हिंसा के बाद केवल स्थानीय जिलाधिकारी और एसपी का तबादला कर मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया था।
क्या है मामला?
1 जनवरी 2014 को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से संगठित करीब एक हजार लोगों ने मध्य प्रदेश के सागर से चलकर दिल्ली जंतर-मंतर तक पहुंचने के लिए मथुरा स्थित जवाहर बाग में डेरा डाला था। डीएम नें उन्हें दो दिन बाद जगह खाली करने के आदेश दिए थे, लेकिन दो दिन बाद भी वे यहां से हटे नहीं।
शुरुआत में वो यहां एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां पर और झोपड़ियां बनीं, इसके बाद इस संगठन का मुखिया रामवृक्ष यादव 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। और वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।
बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2 जून 2016 को अवैध कब्जे को हटाने पहुंची पुलिस और कब्जेधारियों के लिए बीच हुए भीषण संघर्ष में करीब 24 लोगों की मौत हो गई। जिसमें एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष कुमार भी शहीद हो गए। बाग में कब्जे का मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव भी इस संघर्ष में मारा गया था।
ऑपरेशन के दौरान 45 तमंचे 315 बोर, 2 तमंचे 12 बोर, 1 रायफल नम्बरी 315 बोर, 1 रायफल 12 बोर, 4 रायफल 315 बोर, 80 जीवित एवं खोखा कारतूस 12 बोर, 99 जीवित एवं खोखा कारतूस 315 बोर एवं 5 खोखा कारतूस 32 बोर बरामद हुए थे।