CAA Protest: जामिया की छात्राओं का आरोप- पुलिस ने प्राइवेट पार्ट्स पर मारी लात, कपड़े फाड़े और गालियां दीं

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रों के एक समूह ने बुधवार (12 फरवरी) को आरोप लगाया कि सोमवार (10 फरवरी) को जब वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ संसद तक मार्च करने की कोशिश कर रहे थे तब पुलिस ने छात्राओं के गुप्तांगों पर लात मारी, कपड़े और हिजाब फाड़ दिया एवं गालियां दीं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।

जामिया

उल्लेखनीय है कि, सोमवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ जामिया के सैकड़ों छात्र और आसपास के लोग संसद तक मार्च करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पुलिस ने रास्ते में ही उन्हें रोक दिया था जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई थी। जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) के परचम तले करीब 20 छात्र बुधवार को मीडिया के सामने आए और उस दिन पुलिस द्वारा कथित तौर पर बरती गई बर्बरता को बयां किया। इन छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सोमवार को उन्हें होली फैमिली अस्पताल के पास रोका और जूते, डंडे, छड़ और लोहे के बने कवच से पिटाई की।

उल्लेखनीय है कि, सोमवार की झड़प के बाद कम से कम 23 लोगों को अल शिफा और अंसारी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था। ये छात्र अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। छात्राओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके गुप्तांगों पर लात मारी, उनकी जांघ पर चढ़ गए और हिजाब फाड़ दिया।

उल्लेखनीय है कि, सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के द्वार संख्या सात से दोपहर में संसद के लिए मार्च शुरू किया था। सीएए के खिलाफ करीब दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है लेकिन गत शुक्रवार और शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने चुनाव के चलते प्रदर्शन स्थल को बदल दिया गया था। प्रदर्शनकारी जब दो किलोमीटर का रास्ता तय कर चुके थे तब पुलिस ने उन्हें रोका और अनुमति नहीं होने और निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देते हुए उनसे आगे नहीं बढ़ने की अपील की।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक घायल महिला छात्र ने आरोप लगाया कि, “जब मैंने कुछ छात्रों को पिटते हुए देखा, तो मैं उनकी मदद करने के लिए दौड़ी। जब मैं बैरिकेड पार करने वाली थी, तो कुछ पुलिसकर्मियों ने मुझे धक्का दिया। पुरुष पुलिसकर्मियों में से एक ने मेरे निजी हिस्से में लात मारी और मैं बेहोश हो गई।” उसने दावा किया कि वह उस पुलिसकर्मी की पहचान कर सकती है, जिसने उसकी पिटाई की थी।

एक अन्य महिला छात्रा ने दावा किया कि, “पुलिसकर्मी मेरी जांघ पर खड़े थे, उन्होंने हिजाब को फाड़ दिया। पुलिसवालों ने भद्दे कमेंट पास किए जैसे ”उसे एक कोने में ले जाओ और उसे सिखाओ कि संविधान क्या है”।” एक अन्य छात्र ने यह भी दावा किया कि वह उन पुलिसकर्मियों की पहचान कर सकता है जिन्होंने छात्रों की पिटाई की और आपत्तिजनक बयान दिए।

हालांकि, छात्रों के आरोपों से इनकार करते हुए दक्षिण पूर्व डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि, “हमारे ऊपर लगाए गए सभी आरोप असत्य हैं। पूरे विरोध प्रदर्शन की हमारे द्वारा वीडियोग्राफी की गई है। वास्तव में, हमारे कुछ लोग हाथापाई कर रहे थे और उन्हें हाथापाई में चोटें आई थीं। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं किया गया था।”

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