पूर्व वित्त मंत्री और दिग्गज BJP नेता अरुण जेटली का कल एक लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली में देहांत हो गया। रविवार को पूरे राजकीय सामान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन उनके अंतिम संस्कार के साथ ही अब एक नयी बहस शुरू हो गयी है कि क्या मरणोपरांत जेटली ने मीडिया ख़ास कर टीवी के चंद पत्रकारों को एक्सपोज़ कर दिया है।
दरअसल जेटली की मौत पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया जिनमें ज़्यादातर राजनीति से जुड़े लोग थे। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में टाइम्स नाउ की नविका कुमार, इंडिया टीवी के रजत शर्मा और दक्षिणपंथी पत्रकार कंचन गुप्ता जैसे कुछ पत्रकार भी शामिल थे।
गुप्ता ने लिखा, “अरुण जेटली की रात में खामोश विदाई पर, एक मित्र केलिए मेरी श्रद्धांजलि।” रजत शर्मा ने एक वीडियो रिकॉर्ड कर जेटली के साथ अपने पिछले 45 साल के संबंधों का ज़िक्र किया। इंडिया टीवी की वेबसाइट पर छपे अपने लेख में उन्होंने लिखा, “व्यक्तिगत तौर पर मैंने अपना सबसे अच्छा दोस्त खो दिया है। आज मुझे ये भी एहसास हो रहा है कि मेरे परिवार का कोई बड़ा हम से जुदा हो गया।
जेटली की मौत पर सबसे चौंकाने वाला ट्वीट नविका कुमार का था जिन्होंने लिखा, “मैंने अपने गुरु और एक ऐसी रौशनी को खो दिया जो मेरे जीवन में मेरे मार्गदर्शक थे। अब मैं हर सुबह किसे फ़ोन करूंगी?.. आसमान में टिमटिमाने वाला सबसे चमकीला तारा मुझे सदैव याद दिलाएगा की आप एक मार्गदर्शक के तौर पर मुझे देख रहे हैं। ”
I’ve lost my Guiding Light my mentor. @arunjaitley, Arun Sir for me, who will I call every morning now? Your wit, your humour, your anecdotes, your knowledge of history & your intellect was unparalleled. The brightest star in the sky will remind me you are watching & guiding us. pic.twitter.com/DIqI6RqVEQ
— Navika Kumar (@navikakumar) August 24, 2019
नविका और दूसरे पत्रकारों की जेटली के लिए भावभीनी श्रद्धांजलि पर सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गयी है की क्या पत्रकारों द्वारा राजनेताओं के साथ घनिष्टता और उन्हें अपना गुरु बताना मौजूदा दौर में पत्रकारिता के गिरते स्तर की निशानी है?
Journalists and editors who are writing eulogies for Arun Jaitley calling him ‘friend’, ‘mentor’, ‘guiding light’, please learn how to write a nice obit without forgetting who you are. You are the custodians of democracy for your readers and not politicians.
— JENCY JACOB (@jencyjac) August 25, 2019
अरुण जेटली की सबसे बड़ी ताकत थी कि अपने हिसाब से कई चेहरों को जरूरत पड़ने पर एक्सपोज करते थे। नियति देखये जेटलीजी ने अपनी अंतिम यात्रा में भी यही किया। कई पत्रकारों के चेहरे पर लगी नकाब को तो उतार ही दिया,उन बातों को सार्वजनिक करवा दिया जो परदे में हुआ करती थी
— Rohini Singh (@rohini_sgh) August 25, 2019
+ An obituary can honour a man in full without omitting the truth of his life, and to those who might say, not today, it's too soon — yes, for friends. But it is the media's job, or used to be, to tell the full and uncomfortable truth. It hasn't done that today.
— Nilanjana Roy (@nilanjanaroy) August 25, 2019
कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी की पार्टी के अंदर प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को सुनिश्चित करने में जेटली का बड़ा हाथ था। 2014 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद जेटली ने कथित तौर पर मीडिया में सरकार के अनुकूल ख़बरों को प्रकाशित करवाने में भी अहम् किरदार अदा किया था। उनकी मौत पर कुछ पत्रकारों द्वारा इस क़दर भावुक हो जाना ये दर्शाता है कि जेटली और इन मीडियकर्मियों के बीच के संबंधों की बातों में कुछ तो सच्चाई थी।