पाक सेना प्रमुख से गले मिलने पर निशाने पर आए नवजोत सिंह सिद्धू के बचाव में उतरे पाकिस्तानी PM इमरान खान

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क्रिकेटर से राजनेता बने कांग्रेस नेता और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ समारोह में शामिल होने के बाद उनकी लगातार आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल में बैठने को लेकर विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ अपने लोग भी उन्हें कोस रहे हैं।

AFP

इस बीच पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने लोगों के निशाने पर आए नवजोत सिंह सिद्धू का बचाव किया है।सिद्धू को शांति दूत बताते हुए इमरान खान ने ट्वीट कर कहा कि शपथ ग्रहण में पाकिस्तान आने के लिए सिद्धू का शुक्रिया करना चाहता हूं। वह शांति के दूत थे और उन्हें पाकिस्तान के लोगों का प्यार मिला। भारत में जो लोग उनपर निशाना साध रहे हैं, वे गलत कर रहे हैं। बिना शांति के हम प्रगति नहीं कर सकते।

एक अन्य ट्वीट में पाक पीएम ने कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों को आगे बढ़कर कश्मीर मसले का हल निकालना चाहिए। लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए बातचीत से दूरियों को कम करके व्यापार को बढ़ाने की जरूरत है।

पाक सेना प्रमुख से गले मिलने पर विवाद

बता दें कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को दो बार सिद्धू को गले लगाया। इस दौरान दोनों के बीच संक्षिप्त बातचीत भी हुई। इससे देश में नया विवाद खड़ा हो गया है। सिद्धू के पाक अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान की बगल में बैठने को लेकर भी विवाद पैदा हो गया है।

शनिवार (18 अगस्त) को इमरान के शपथ ग्रहण के दौरान सिद्धू मेहमानों की पहली पंक्ति में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान की बगल में न सिर्फ बैठे नजर आए बल्कि उनसे बातचीत भी की। वह संभवत: पहले भारतीय नेता हैं, जिनको किसी समारोह में पीओके के राष्ट्रपति के साथ बैठे देखा गया। सिद्धू के पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नाराजगी व्यक्त की है।

“पाकिस्तान दौरा राजनीतिक नहीं था”

पंजाब मंत्रिमंडल के सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार (21 अगस्त) को अपनी पाकिस्तान यात्रा पर स्पष्टिकरण देते हुए कहा कि यह ‘‘राजनीतिक’’ नहीं एक दोस्त की ओर से महज गर्मजोशी भरा आमंत्रण था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचे सिद्धू पड़ोसी देश के सेना प्रमुख को गले लगाने के बाद विवादों में घिर गए थे।

विपक्ष की तीखी आलोचना और अपने मुख्यमंत्री के निशाने पर आने के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने मुझे बताया कि वे भारत के डेरा बाबा नानक करतारपुर साहिब के गरुद्वारे के लिए रास्ता खोलने का प्रयास कर रहे हैं और इसके बाद जो हुआ वह भावुक क्षण था। सिद्धू इमरान के शपथ समारोह में शिरकत करने 18 अगस्त को इस्लामाबाद पहुंचे थे।

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक संवाददाता सम्मेलन की शुरुआत में उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पाकिस्तान दौरा चर्चा का मुद्दा बन गया है। इस संबंध में, मैं निश्चित तौर पर कुछ चीजें स्पष्ट करना चाहूंगा। पाकिस्तान का मेरा दौरा राजनीतिक नहीं एक दोस्त की ओर से महज गर्मजोशी भरा आमंत्रण था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह दोस्त, जिसने अपने जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष किया। वह जो आज उस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह करोड़ों लोगों की किस्मत बदल सकता है।’’

जनरल बाजवा के साथ अपनी बैठक पर सिद्धू ने कहा,‘‘मैं एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जनरल बाजवा के साथ मेरी बैठक उनके शपथ समारोह स्थल पर पहुंचने के बाद हुई।’’ सिद्धू ने कहा, ‘‘मुझे पहली पंक्ति में बैठा देख वह गर्मजोशी से मिले और तुरंत ही उन्होंने मुझे बताया कि वे करतारपुर साहिब (जो करीब 3 से 3.5 किलोमीटर पाकिस्तान में है) के लिए रास्ता खोलने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि गुरु नानक देव जी के 550वें ‘प्रकाश दिवस’ पर श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि करोड़ों श्रद्धालु पवित्र करतारपुर साहिब के दर्शन करने का इंतजार कर रहे हैं, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के करीब 18 वर्ष बिताए थे। उन्होंने कहा, ‘‘जनरल बाजवा के यह कहने के बाद, वह एक भावुक क्षण बन गया,जिसका नतीजा (एक दूसरे को गले लगाना) सभी ने देखा। उस छोटी मुलाकात के बाद, जनरल बाजवा के साथ मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई।’’

बहरहाल, सिद्धू ने अचानक हुई बैठक के भावुक क्षण में बदलने की निंदा होने पर दुख भी व्यक्त किया। इस बीच, सिद्धू ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान अगर बातचीत के जरिए अपने मतभेद दूर कर लें, अच्छे दोस्त बन जाएं और व्यापार एवं अन्य क्षेत्रों में आपसी अदान-प्रदान को बढ़ावा दें, तो दक्षिण एशिया के लिए यह एक बड़ी उम्मीद और संदेश होगा।

 

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