देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। शुक्रवार (20 अप्रैल) को राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपा। महाभियोग प्रस्ताव पर 7 विपक्षी दलों ने नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।
सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए सात पार्टियां एकजुट हैं। ये सात पार्टियां- कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, बीएसपी, मुस्लिम लीग और समाजवादी पार्टी हैं। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने मीटिंग के दौरान 5 आधार देते हुए महाभियोग के प्रस्ताव की मंजूरी मांगी है। हमने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस उपराष्ट्रपति को सौंप दिया है और उनसे प्रस्ताव पेश करने की मंजूरी देने की मांग की है।
एक प्रेस वार्ता में राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने एक हफ्ते पहले नायडू से मुलाकात के लिए समय मांगा था, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों के दौरे पर थे इसलिए मुलाकात आज हो पाई। आजाद ने कहा कि हमारी मुलाकात 40 मिनट तक हुई। इस दौरान उन्हें 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव दिया। हमारे पास जरूरत से ज्यादा सांसद साथ हैं। आजाद ने कहा कि सभापित इस मांग को स्वीकार करें।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘सात राजनीतिक दलों ने उप-राष्ट्रपति को सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिया है। जिस पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें 7 रिटायर हो चुके हैं। हालांकि फिर भी यह संख्या पर्याप्त है।’ उन्होंने कहा कि महाभियोग के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है। हमें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीएम, सीपीआई और मुस्लिम लीग का समर्थन हासिल है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीजेआई को हटाने की पांच वजहें बताई गई हैं। सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर उपराष्ट्रपति से मिलने गए विपक्षी नेताओं में गुलाम नबी आजाद, केटीएस तुलसी, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, एनसीपी की वंदना चौहान, सीपीआई के डी. राजा शामिल थे। हालांकि आरजेडी और टीएमसी अभी महाभियोग प्रस्ताव की मुहिम से दूर हैं।
वहीं, महाभियोग प्रस्ताव को सौंपने के बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उम्मीद है कि उप-राष्ट्रपति प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा कि, ‘हम नहीं चाहते थे कि यह दिन कभी आए। लेकिन खराब व्यवहार को लेकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाया जाना चाहिए।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि CJI दीपक मिश्रा द्वारा लिए गए प्रशासनिक फैसलों पर सवाल उठे हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भी अब तक कुछ नहीं बदला है। सु्प्रीम कोर्ट के जजों ने खुद बाहर आकर कहा था कि अगर चीफ जस्टिस का ऐसा ही रवैया जारी रहा तो लोकतंत्र खतरे में है। सिब्बल ने कहा कि, “जिस देश की जनता सुप्रीम कोर्ट पर इतना भरोसा करती है. उसके मुख्य न्यायाधीश को भी इसका ओहदे का सम्मान करना चाहिए। लेकिन, अफसोस है कि सीजेआई के मामले में ऐसा नहीं है। इसलिए हमारे पास महाभियोग लाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था।”