पटना हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका देते हुए उनके ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और चार हफ्ते के अंदर इस अभियान में अब तक खर्च की गई राशि का ब्योरा मांगा है। चुनाव से पूर्व राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए सरकारी राशि के खर्च पर भी अदालत ने तल्ख टिप्पणी की है।
पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्सिट एल. नरसिम्हा रेड्डी और जज अंजना श्रीवास्तव ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार में लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं है और सरकार अपनी उपलब्धियों को बताने के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है। पटना हाई कोर्ट के वकील दिनू कुमार ने बताया कि नागरिक अधिकार मंच के संयोजक शिवप्रकाश राय की जनहित याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने अभियान को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया।
कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर राज्य सरकार के इस अभियान के लिए खरीदी गईं तमाम गाड़ियों की जानकारी और खर्च की गई राशि का ब्योरा देने का निर्देश सरकार को दिया है। अदालत ने सोमवार को सरकार के रिपोर्ट कार्ड पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट कार्ड में मुख्यमंत्री की तस्वीर वाले रिपोर्ट कार्ड छपाई में भी लाखों रुपये खर्च किए गए हैं।
राय ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा संचालित ‘बढ़ चला बिहार’ कार्यक्रम परोक्ष रूप से आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) का चुनाव प्रचार अभियान है, जिसमें जनता के करोड़ों रुपये खर्च होने का अनुमान है। ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान राज्य सरकार की उपलब्धियों को बताने वाली योजना है जिसमें छोटे ट्रक में आधुनिक सुविधाओं से लैस एलसीडी टीवी के जरिए राज्य सरकार की उपलब्धि बताई जा रही है। इन ट्रकों को राज्य के 40 हजार गांवों में पहुंचने का लक्ष्य है।