दिल्ली हाई कोर्ट ने 15 साल की एक लड़की का 25 हफ्ते का गर्भ गिराने की मंजूरी देने से शुक्रवार (22 दिसंबर) को इंकार कर दिया। मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि ऐसा करने से लड़की एवं उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की जान को खतरा होगा।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि वह चिकित्सीय रूप से गर्भ गिराने की नाबालिग लड़की की इच्छा का समर्थन नहीं कर सकते क्योंकि गर्भ के पलने बढ़ने की क्षमता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स के एक मेडिकल बोर्ड ने पीठ से कहा कि गर्भ ने आकार ले लिया है और उसे गिराने की मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा है। पीठ ने बोर्ड की सलाह मानते हुए की मंजूरी देने से मना कर दिया और उसकी याचिका का निपटान कर दिया।
पुलिस ने गत 27 नवंबर को उस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया था जिससे लड़की की शादी हुई थी। उस पर बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। हालांकि लड़की ने अपनी मर्जी से आरोपी के साथ घर छोड़कर भागी थी और इस व्यक्ति से शादी की थी।
बरामदगी के बाद इस लड़की ने अपने परिजनों के साथ जाने से इंकार दिया था। इसके बाद अदालत ने लड़की को प्रयास जुवेलाइल एड सेंटर में भेज दिया था। लेकिन, कुछ समय बाद लड़की को उसके मां बाप के पास पहुंचा दिया गया।