देश में आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार (23 अगस्त) को कहा कि उन्हें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर इस बात को लेकर पूरा भरोसा है कि वह आर्थिक नरमी से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक देश के रूप में एकजुट होकर खड़े होने तथा अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का समय है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक नरमी को लेकर ठोस कदम उठाएगी। यह ऐसा समय है जब देश को एक साथ खड़ा होने तथा अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये जो भी कदम उठाएगी, दिल्ली सरकार उसे पूरा समर्थन देगी। मैं नौकरियों के नुकसान को लेकर निजी तौर पर चिंतित हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह गंभीर चिंता का विषय है, विशेषकर वाहन क्षेत्र, कपड़ा क्षेत्र, रीयल एस्टेट और अन्य ऐसे क्षेत्र जिनमें नरमी का असर अधिक है।’’
"आर्थिक मंदी बहुत ही चिंता का विषय है, मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार इस पर ठोस कदम उठाएगी।
यह ऐसा समय है की पूरे देश को एक होकर अपनी आर्थिक व्यवस्था को ठीक करना है।केंद्र आर्थिक मंदी को कम करने के लिए जो भी कदम उठाएगा, दिल्ली सरकार उनका पूरा समर्थन करेगी"- @ArvindKejriwal pic.twitter.com/Q9YOXsSQ1Q
— AAP (@AamAadmiParty) August 23, 2019
बता दें कि, सीएम केजरीवाल यह टिप्पणी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश के लिए प्रोत्साहित हों। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल के दौरान वृद्धि की सबसे खराब गति को निहार रही है।
उन्होंने वित्तीय क्षेत्र में बने अप्रत्याशित दबाव से निपटने के लिए लीक से हटकर कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि निजी निवेश तेजी से बढ़ने से भारत को मध्यम आय के दायरे से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। राजीव कुमार ने वित्तीय क्षेत्र में दबाव को अप्रत्याशित बताया। उन्होंने कहा कि किसी ने भी पिछले 70 साल में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जब पूरी वित्तीय प्रणाली में जोखिम है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश के लिये प्रोत्साहित हों।’’