कांग्रेस के दिग्गज नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को ‘मेरे हाथ-पांव बांधे’ जैसे ट्वीट करने के बाद गुरुवार को नरम पड़ गए। उन्होंने कहा कि, मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही है।

हरीश रावत ने गुरुवार को अपने ट्वीट में लिखा, “मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है, क्योंकि भाजपा और आप पार्टी को मेरी ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है और इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं।”
मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है, क्योंकि भाजपा और आप पार्टी को मेरी ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है और इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं।@BJP4UK @AAPUttarakhand pic.twitter.com/85HXX4Far2
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 23, 2021
बता दें कि, हरीश रावत ने बुधवार को तीन ट्वीट किए थे, जिनमें उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने के संकेत दिए थे। गुरुवार को पार्टी हाईकमान द्वारा बुलाए जाने के बाद उनके तेवर नरम पड़ गए हैं। वहीं, उन्होंने अपने ट्वीट पर सफाई देने के बजाए संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा था कि वह “समय आने पर बोलेंगे यानी जवाब देंगे।”
हरीश रावत ने #चुनाव_रूपी_समुद्र हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए अपने ट्वीट में लिखा था, “है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि #हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!”
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि #भगवान_केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।”
बता दें कि, हरीश रावत वर्ष 2016 में उत्तराखंड के सातवें मुख्यमंत्री बने थे। वे मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। हरीश रावत कुछ समय के लिए पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। उस समय नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मतभेद चरम पर था। बाद में हरीश रावत को प्रभारी पद से हटा दिया गया।
उत्तराखंड में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अभी वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है। हरीश रावत के इस ट्वीट के बाद खलबली मच गई। हरीश रावत के ट्वीट से कांग्रेस के अंदर की गुटबाज़ी और पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई हल नहीं मिल पाने का अंदाज़ा मिल रहा है।
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