पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल एक बार फिर देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर लिए गए।
सूरत में एक अदालत ने सूरत पुलिस की वह अर्जी खारिज कर दी जिसमें हार्दिक की हिरासत बढ़ाने की गुजारिश की गई थी। इससे उनकी रिहाई की उम्मीद जगी थी लेकिन उन्हें अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इस बीच, गुजरात उच्च न्यायालय ने हार्दिक पटेल के खिलाफ लगे देशद्रोह के मामले को रद्द करने पर फैसला सुरक्षित रखा है। फैसला 27 अक्टूबर को सुनाया जाएगा।
सूरत की एक अदालत ने हार्दिक को शुक्रवार शाम तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा था जबकि उनके पांच समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह और चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश करने के मामले में अहमदाबाद में भी प्राथमिकी दर्ज है।
पटेल को देशद्रोह के आरोप में 19 अक्टूबर को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ उनके पिता और भाजपा नेता भरत पटेल ने याचिका दायर की है। हार्दिक पर आरोप है कि उन्होंने पटेल समुदाय के युवाओं से कहा कि आत्महत्या करने के बजाए वह एक या दो पुलिसवालों की हत्या करें।
कहा जाता है कि 3 अक्टूबर को हार्दिक ने सूरत के विपुल देसाई से कहा था: “अगर तुम में इतनी हिम्मत है तो बजाए खुदकुशी करने के जाओ, जाकर एक या दो पुलिसवालों को मार डालो। पटेल कभी आत्महत्या नहीं करते।”
देसाई से मिलने हार्दिक अपने साथ एक स्थानीय टीवी चैनल के संवाददाता को लेकर गए थे। चैनल ने हार्दिक की बात को प्रसारित किया। इसके बाद यह सोशल मीडिया पर पहुंच गया और विवाद भड़क गया।
इस पर उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ जिसके खिलाफ उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
सूरत में पुलिस ने अदालत से हार्दिक को पांच दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजने का आग्रह किया लेकिन अदालत ने इसे ठुकरा दिया।
उधर अहमदाबाद अपराध शाखा के कर्मचारी सूरत पहुंच चुके थे। उन्होंने हार्दिक को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अहमदाबाद ले गए।
हार्दिक पटेल उन छह लोगों में शामिल हैं जिन पर अहमदाबाद में देशद्रोह का मामला दर्ज है। बाकी पांच में से तीन — चिराग पटेल, दिनेश बामानिया और केतन पटेल — को गुरुवार को अदालत में पेश किया गया। इन तीनों को 29 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
दो अन्य अल्पेश कथीरिया और अमरीश पटेल फरार हैं।
अब अहमदाबाद पुलिस हार्दिक को अदालत में पेश करेगी और रिमांड पर लेने की कोशिश करेगी।