‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर किए गए खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। कांग्रेस राफेल डील पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बख्शने के मूड में नहीं हैं। ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा उठाए गए सवाल के बाद सरकार और विपक्ष के बीच सौदे को लेकर घमासान जारी है। एक ओर जहां केंद्र सरकार इस सौदे को गोपनीयता का हवाला देकर सार्वजनिक करने से बच रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसमें घोटाले का आरोप लगा रही है।
राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस द्वारा लगातार उठाए जा रहे सवालों के बीच इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे विपक्ष हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। दरअसल, एक अधिकारी ने खुलासा किया है कि सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को खबर ही नहीं थी कि पिछले राफेल विमान सौदे को बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार रद्द कर चुकी है और नया राफेल सौदा किया गया है।
समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार (3 नवंबर) को यह जानकारी दी। एचएएल के चेयरमैन आर. माधवन ने IANS से कहा, ‘हमें पिछले सौदे को रद्द किए जाने की जानकारी नहीं थी। हम राफेल पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्योंकि हम अब इस सौदे का हिस्सा नहीं है।’ माधवन ने कहा, ‘यह सौदा सरकार द्वारा सीधे खरीद का है, इसलिए हम राफेल विमानों की कीमत या नीति में बदलाव पर टिप्पणी नहीं कर सकते।’
आपको बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार ने फ्रांस की एयरक्राफ्ट बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट ऐविएशन के साथ 125 राफेल विमानों का सौदा किया था, जिसमें से 108 विमानों का निर्माण लाइसेंस्ड प्रोडक्शन के तहत एचएएल द्वारा किया जाता और 18 विमानों का निर्माण फ्रांस में कर उसे भारत लाया जाता।
ये विमान भारतीय वायु सेना के लिए खरीदे जाने थे। लेकिन नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में फ्रांस की सरकार के साथ दूसरा सौदा कर लिया, जिसमें 125 के बजाय सिर्फ 36 राफेल विमानों की खरीद की गई और इन सबका निर्माण फ्रांस में ही कर उसे भारत लाया जाएगा। इसकी अनुमानित कीमत 54 अरब डॉलर है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को केंद्र सरकार से कहा कि वह फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत की जानकारी उसे 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे। साथ ही इसपर सहमति जताई कि ‘‘सामरिक और गोपनीय’’ सूचनाओं को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में सरकार को कुछ छूट भी दी।
सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इन लड़ाकू विमानों कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है। न्यायालय ने कहा कि केंद्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे। पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे।