गुजरात सरकार ने नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में शासन व्यवस्था पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति एम बी शाह आयोग की रिपोर्ट आज विधानसभा में पेश कर दी।
उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही यह रिपोर्ट सदन पटल पर रखी। यह बजट सत्र का आखिरी दिन है। पटेल ने कहा, राज्य सरकार ईमानदार है और भ्रष्ट नहीं है। उसके पास गुजरात की जनता से छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट 5500 पन्नों की है और इसके 22 अंक हैं।
लगभग एक माह तक चले विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस ने शाह आयोग की रिपोर्ट पेश किए जाने के मुद्दे पर कई बाद सदन की कार्यवाही बाधित की थी।
आयोग का गठन वर्ष 2011 में किया गया था। इसका गठन पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए किया गया था।
इन आरोपों में राज्य सरकार द्वारा उद्योगपतियों को गलत तरह से जमीन आवंटित करने का आरोप भी शामिल है। ये आरोप उस समय कांग्रेस ने लगाए थे।
आयोग ने वर्ष 2013 में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी। नितिन पटेल ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि रिपोर्ट में मोदी नीत तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में कोई पुख्ता साक्ष्य या सच्चाई नहीं मिली है।
कांग्रेस ने राष्ट्रपति को वर्ष 2011 में एक ग्यापन सौंपा था, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम बी शाह ने मोदी और उनकी राज्य सरकार के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के 14 आरोपों की जांच की थी।

















