इस साल मई महीने में मोदी सरकार के चार साल पूरे हो जाएंगे। देश की जनता अब उनके वादों की जांच-पड़ताल कर रही है। सबसे ज्यादा बात जिस वादे की हो रही है वह है नौकरी और रोजगार। 2014 के आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने देश में हर साल एक करोड़ युवाओं को नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन आज जमीनी सच्चाई इससे दूर नजर आती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस बीच केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने हैरान करने वाली जानकारी देते हुए बताया है कि नौकरियां पैदा करने का मोदी सरकार का कोई लक्ष्य नहीं हैं। जी हां, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने युवाओं को नौकरी देने का कोई निश्चित लक्ष्य नहीं तय किया है। सोमवार (19 मार्च) को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने यह जानकारी दी।
इंडियन नेशनल लोकदल के सांसद दुष्यंत चौटाला की ओर से बीते तीन साल में सरकारी और निजी सेक्टर में नौकरियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में गंगवार ने सोमवार को कहा कि रोजगार के अवसर पैदा करने का सरकार का कोई निश्चित लक्ष्य नहीं है। सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘सरकार की ओर से ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है। हालांकि रोजगार के अवसर पैदा करना और नौकरियों में सुधार करना सरकारी की प्रमुख चिंता है।’
श्रम मंत्री ने कहा कि सरकार ने निजी सैक्टर को प्रोत्साहित करते हुए रोजगार के अवसर पैदा करने के कई कदम उठाए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और दीनदयाल ग्रामीण कौशल्य योजना जैसी योजनाओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इनके जरिए रोजगार मुहैया कराने और कौशल प्रदान करने का काम कर रही है।
दरअसल, चौटाला ने इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की उस रिपोर्ट को लेकर सवाल पूछा था, जिसमें आशंका जताई गई थी कि इस साल भारत में 2017 के मुकाबले बेरोजगारों की संख्या में 30 लाख का इजाफा हो जाएगा। दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में भारत में 18.6 मिलियन लोग बेरोजगार होंगे, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 18.3 मिलियन ही था। यही नहीं 2019 तक बेरोजगारी का यह आंकड़ा 18.9 तक पहुंचने की भी आशंका जताई गई है।
बता दें कि साल 2013 में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी पार्टी अगर सत्ता में आती है तो एक करोड़ नौकरियों के अवसर पैदा करेगी। इसके एक साल बाद ही उनकी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर भारी बहुमत से काबिज हो गई। लेकिन इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट ‘वर्ल्ड एंप्लॉयमेंट ऐंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स- 2018’ के मुताबिक चीजें कुछ ठीक नहीं चल रही हैं और रोजगार वृद्धि में काफी सुस्ती है।
‘मोदीजी ने नौकरियों का नहीं किया था वादा’
बता दें कि पिछले साल बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा था कि मोदीजी ने नौकरी देने का वादा किया ही नहीं था, उन्होंने तो रोजगार देने की बात कही थी। बता दें कि इससे पहले भारतीयों के बैंक खातों में 15-15 लाख रुपये जमा करने के पीएम मोदी के वादे को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक चुनावी जुमला करार दे चुके हैं।
15 जनवरी को ‘सहयाद्री’ में ‘नवभारत टाइम्स’ से बात करते हुए वित्त राज्यमंत्री शुक्ला ने कहा था कि, ‘मोदी जी लोकसभा चुनाव से पहले अपनी सभाओं में कहते थे कि हम हर साल एक करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। उन्होंने नौकरी देने की बात कभी नहीं कही थी। नौकरी का मतलब सरकारी नौकरी नहीं होना चाहिए, बल्कि रोजगार होना चाहिए।’