आर्थिक तंगी का सामना कर रही एयर इंडिया का केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर 325 करोड़ रुपए का बकाया है। यह बकाया दूसरे देशों के लिए वीपीआईपी चार्टर्ड विमानों की सेवा से संबंधित है। ये फ्लाइट विदेश दौरों के लिए किराए पर ली गई थीं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत एक जवाब में एयर इंडिया ने वीवीआईपी यात्राओं की सेवा से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों को बकाए बिल का ब्यौरा दिया है।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, राष्ट्रीय विमानन कंपनी की ओर से 8 मार्च को उपलब्ध कराए गए ब्यौरे के मुताबिक वीवीआईपी चार्टर्ड विमानों की सेवा के लिए 31 जनवरी, 2018 तक 325.81 करोड़ रुपये का बकाया था। इस राशि में से 84.01 करोड़ रुपये पिछले वित्त वर्ष यानी 2016-17 का बकाया है और 241.80 करोड़ रुपये के बिल इस वित्त वर्ष यानी 2017-18 के हैं।
कमोडोर (रिटायर्ड) लोकेश बत्रा की ओर से दाखिल आरटीआई आवेदन के जवाब में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि चार्टर्ड वमानों का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे वीवीआईपी के विदेश दौरों के लिए किया जाता है। ये विमान एयर इंडिया द्वारा मुहैया कराए जाते हैं। एयर इंडिया का बकाया रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय पर है।
आरटीआई के जवाब में एयर इंडिया ने कहा कि विदेश मंत्रालय पर 178.55 करोड़ रुपये, कैबिनेट सचिवालय और पीएमओ पर 128.84 करोड़ रुपये और रक्षा मंत्रालय पर 18.42 करोड़ रुपये का बकाया है। एयर इंडिया की ओर से आरटीआई का जवाब मिलने के तीन दिन पहले नागर विमानन मंत्रालय ने कहा था कि 31 दिसंबर, 2017 तक की स्थिति के अनुसार एयर इंडिया का कुल 345.94 करोड़ रुपये का बिल बकाया है।
आरटीआई के जवाब में यह भी बताया गया है कि पिछले वित्त वर्ष से 451 करोड़ के बकाया बिल को आगे बढ़ाया गया, जबकि इस साल 553.01 करोड़ का बिल बना। कुल 1004.72 करोड़ में से सरकार ने इस साल 678.91 करोड़ रुपये चुकाए हैं। बता दें कि एयर इंडिया की ओर से आरटीआई का जवाब मिलने के तीन दिन पहले पांच मार्च को नागर विमानन मंत्रालय ने कहा था कि 31 दिसंबर, 2017 तक की स्थिति के अनुसार एयर इंडिया का कुल 345.94 करोड़ रुपये का बिल बकाया है।