साल 2002 में गोधरा में ट्रेन आगजनी मामले में सोमवार(9 अक्टूबर) को गुजरात हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। साथ ही पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी ऐलान किया है। बता दें कि इस मामले में एसआईटी की विशेष अदालत की ओर से आरोपियों को दोषी ठहराए जाने और बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
सोमवार को हाई कोर्ट ने गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में 11 दोषियों की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया जबकि 20 अन्य दोषियों को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और रेलवे दोनों कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहे हैं और दोनों पीड़ित परिवारों को मुआवजा देंगे।
साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग के हवाले कर दिया गया था जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इस डिब्बे में 59 लोग थे जिसमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कार सेवक थे। एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 63 को बरी कर दिया था। 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
बाद में हाई कोर्ट में कई अपीलें दायर कर दोषसिद्धी को चुनौती दी गई जबकि राज्य सरकार ने 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी गई थी। विशेष अदालत ने अभियोजन की इन दलीलों को मानते हुए 31 लोगों को दोषी करार दिया कि घटना के पीछे साजिश थी। दोषियों को हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत कसूरवार ठहराया गया था।
बता दें कि इसी साल गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अभियान की शुरुआत कर दी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात गौरव यात्रा, तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने नवसृजन यात्रा के जरिए चुनावी बिगुल बजाया। माना जा रहा है कि गोधरा कांड पर आने वाले फैसले का असर निश्चित तौर पर राजनीति पर भी पड़ेगा।