दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट भेजने की कॉलेजियम की सिफारिश का विरोध किया है। पूर्व जज गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए न्यायमूर्ति माहेश्वरी और खन्ना को शीर्ष न्यायालय में भेजे जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में जस्टिस गंभीर ने 32 वरिष्ठ जजों की अनदेखी करने वाली सिफारिश को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना ‘ऐतिहासिक भूल’ होगी।
सोमवार (14 जनवरी) को लिखे पत्र में जस्टिस गंभीर ने पुनर्विचार की अपील की है। जस्टिस गंभीर ने राष्ट्रपति को पत्र में लिखा, ’11 जनवरी, 2019 को मैंने यह खबर पढ़ी कि कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाई कोर्ट के संजीव खन्ना को कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश की है। पहली नजर में मुझे इस खबर पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन यही सच था।’
Former Delhi High Court judge Kailash Gambhir has written to President of India against the recommendation of the Collegium to elevate Justices Sanjiv Khanna and Dinesh Maheshwari to the Supreme Court; urges President to prevent "another historical blunder” from being committed pic.twitter.com/RNJHUXG5T9
— ANI (@ANI) January 15, 2019
जस्टिस गंभीर ने खास तौर पर जज संजीव खन्ना के प्रमोशन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में उनसे वरिष्ठ तीन जज और हैं। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजा जाना गलत परंपरा की शुरुआत होगी। यह पत्र सोमवार (14 जनवरी) को लिखा गया है, जो दो पन्नों का है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि न्यायमूर्ति खन्ना दिवंगत न्यायामूर्ति एचआर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था जिसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था।
पत्र में कहा गया है कि जिस तरह से न्यायमूर्ति एचआर खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ‘काला दिन’ बताया जाता है उसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना एक और काला दिन होगा। उनमें से कई न्यायाधीश हो सकता है उनसे कम मेधावी और सत्यनिष्ठा वाले नहीं हों।
दरअसल, कॉलेजियम ने गत 10 जनवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। 10 जनवरी से पहले गत 12 दिसंबर को भी कोलीजियम बैठी थी और उसने कुछ निर्णय भी लिए थे लेकिन उस पर ज्यादा विचार विमर्श नहीं हो पाया था, क्योंकि शीतकालीन अवकाश हो गया था। दोबारा जब पांच और छह जनवरी को जब बैठक हुई तब तक जस्टिस मदन बी लोकूर सेवानिवृत हो चुके थे और उनकी जगह जस्टिस अरुण मिश्रा शामिल हो चुके थे।
पत्र में कहा गया है कि यह भयावह है कि 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करने का हिलाकर रख देने वाला एक फैसला ले लिया गया। नजरअंदाज किए गए उन न्यायाधीशों में कई मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं और यह फैसला उनके ज्ञान, मेधा और सत्यनिष्ठा पर प्रहार करता है। न्यायमूर्ति गंभीर ने यह भी लिखा है कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिवंगत न्यायमूर्ति डी आर खन्ना के बेटे हैं और कानूनी जगत के एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं।