भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर किया गया पूर्व सेना अधिकारी अजय शुक्ला का ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, उनके ट्वीट पर यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। उन्होंने लद्दाख में चीन के लिए अपमानजनक आत्मसमर्पण के लिए केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है।
पूर्व सेना अधिकारी अजय शुक्ला ने अपने ट्वीट में लिखा, चीन ने लद्दाख में सीमाएं बदल दी हैं, और भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है… और नई दिल्ली एक लंबी दौड़ और सैन्य और कूटनीतिक जुड़ाव की बात कर रहा है! अगर ऐसा करना आत्मसमर्पण करना था, तो पहाड़ की हड़ताल को खत्म करना और लद्दाख से बख्तरबंद ब्रिगेड को हटाना।”
पत्रकारों को चीन के साथ सीमा तनाव पर रिपोर्ट न करने की सलाह देने वाली सरकार की हालिया डिक्टेट पर शुक्ला ने लिखा, “लद्दाख में चीनी आक्रामकता के प्रति इस आत्मसमर्पण को ढंकने के लिए, सरकार ने पत्रकारों से कहा कि वे कवर न करें या न लिखें। यह नई स्थिति को सामान्य करने के लिए जनता की राय की अनुमति देने के लिए है… जो कि चीन में आया है और नहीं छोड़ेगा!”
2/2. To cover up this craven surrender to Chinese aggression in Ladakh, govt has the nerve to ask journalists not to cover, or write on, the ongoing “dialogue”.
This is to allow public opinion to normalise the new situation… which is that China has come in and will not leave!!
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 8, 2020
बता दें कि, अपने हालिया बयान में रक्षा मंत्रालय ने पत्रकारों को भारत-चीन सीमा तनाव पर रिपोर्टिंग से दूर रहने की चेतावनी दी थी। बयान में कहा गया था, “भारत और चीन के अधिकारियों को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए स्थापित सैन्य और राजनयिक के माध्यम से लगे रहना जारी है। इस स्तर पर इसलिए इन अटकलों के बारे में कोई भी अटकलें और निराधार रिपोर्टिंग मददगार नहीं होगी और मीडिया को ऐसी रिपोर्टिंग से बचना चाहिए।”
शुक्ला ने अपने ट्वीट में आगे कहा, “जहां सरकार अपने “सैन्य और कूटनीतिक संवाद” के धुएं और दर्पण के खेल को जारी रखती है, चीन नई सीमा को मजबूत करेगा और बनाएगा। कम से कम 1962 में सेना ने युद्ध लड़ा और चीन को एक कीमत चुकानी पड़ी। इस बार, यह एक अपमानजनक समर्पण है।”
3/3 The writing is on the wall. While the govt continues its smoke and mirrors game of “military and diplomatic dialogue”, China will consolidate and make the new border permanent.
At least in 1962 army fought a war and made China pay a cost. This time, it’s an abject surrender.
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 8, 2020
भारत-चीन सीमा पर तनाव को दूर करने के लिए दोनों देश की सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों के बीच 6 जून को बातचीत हुई। सीमा विवाद पर लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय ने रविवार को आधिकारिक बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि यह बैठक सौहर्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई। विभिन्न द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमत हुए हैं।
दोनों देशों के नेताओं के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में शांति आवश्यक है। दोनों पक्ष स्थिति को ठीक करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य एवं राजनयिक संपर्कों के माध्यम से बातचीत जारी रखेंगे।