भारत के अलग-अगल राज्यों से हर रोज कोई न कोई ऐसी तस्वीर सामने आ ही जाती है, जिसे देखकर हमें शर्मसार होना पड़ता है। किसी राज्य में जब कोई गरीब व्यक्ति या उसके परिवार में कोई बीमार होता है तो वो सरकारी अस्पतालों का सहारा लेता है, लेकिन जब सरकारी अस्पतालों से भी उसे कोई मदद नहीं मिलती है तो उसके बाद क्या होता है वो कोई नहीं जानता। बिहार की राजधानी पटना से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जो मानवता को शर्मसार कर देने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रामबालक नाम का एक आदिवासी अपनी पत्नी संजू के साथ बेटी का इलाज कराने के लिए जमुई से मंगलवार को पटना के एम्स आया था। एम्स पहुंचने के बाद वहां खड़े गार्ड ने उसे बेटी का पंजीकरण कराने के लिए कहा। इतने बड़े अस्पताल में रामबालक को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसे पंजीकरण कहां और कैसे करवाना है। इस वजह से रामबालक एक अस्पताल में एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक भटकता रहा।
आखिरकार, जब रामबालक को समझ में आया कि पंजीकरण कराने के लिए उसे कौन से काउंटर पर खड़ा होना है, तो वह वहां जाकर लाइन में लग गया मगर जब तक उसका नंबर आया उसे बताया गया कि ओपीडी का समय समाप्त हो गया है और वह अगले दिन आए। इसी दौरान रामबालक की बेटी की हालत और बिगड़ गई और अस्पताल के अंदर ही उसकी मौत हो गई। लेकिन उसके बाद जो हुआ वो बेहद ही शर्मनाक था।
रामबालक, जो जमुई में मजदूरी करता है और बेहद गरीब है। गरीबी की वजह से अपनी बेटी की लाश को एंबुलेंस से घर ले जाने के पैसे भी उसके पास नहीं थे और अस्पताल ने भी उसकी कोई मदद नहीं की। जिसके बाद गरीब पिता को बेटी का शव कंधे पर रखकर अस्पताल से ले जाने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं परिवार वालों का आरोप है कि, अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी बेटी का इलाज नहीं किया।
Man carried daughter's body in #Patna in the absence of any ambulance claims family, says #AIIMS doctors didn't attend to the ailing girl. pic.twitter.com/HUCMjLNExm
— ANI (@ANI) October 18, 2017
आपको बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है कि ऐसा मामला किसी राज्य से सामने आया हो। देश के हर राज्य से आए दिन ऐसी कोई न कोई ख़बर मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती है। लेकिन इन सब के बीच सोचने वाली बात यह है कि, आखिर कब तक देश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हमें ऐसे ही शर्मसार होना पड़ेगा।
अभी हाल ही में यूपी के कौशांबी से ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जहां पर एक शख्स को अपनी भांजी की लाश को मजबूरन कंधे पर लादकर साइकिल से करीब 10 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा। मामला सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का था।
बता दें कि, कुछ दिनों पहले ही पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में एक बच्चे की मौत के बाद परिजनों को एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई थी। जिसके बाद मजबूर पिता को बच्चे के शव को कंधे पर ले कर ही अपने घर को निकल पड़ा था।