किसान नेता बोले- कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही किसानों का आंदोलन समाप्त होगा

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मोदी सरकार एवं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच कृषि कानूनों पर पांचवे दौर की बातचीत से पहले अखिल भारतीय किसान सभा के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह किसान आंदोलन समाप्त होगा। दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बैठक हुई थी जो कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध समाप्त करने में विफल रही। किसान इन कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे।

कृषि कानूनों
फाइल फोटो

अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद ने कहा, ”हमारे दिमाग में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इन कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा। हम यहां से नहीं हिलेंगे। हम चाहते हैं कि सरकार अपने प्रस्ताव को संसद में ले जाए और इस मुद्दे पर संसदीय समिति चर्चा करे। हम लोगों को इस कानून को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मान्य नहीं होगा।”

बता दें कि, भयंकर सर्दी के बीच हजारों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए पिछले नौ दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे हुए हैं। पंजाब और हरियाणा के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। वे हरियाणा की सिंघु, टिकरी सीमा और उत्तर प्रदेश की गाजीपुर और चिल्ला सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

प्रसाद ने कहा, ”इस मौके पर ट्रांसपोर्ट युनियनों एवं खुदरा व्यापारियों और अन्य सबंधित समूहों ने हमारे साथ एकजुटता दिखाई है। हमारा आंदोलन केवल किसानों के लिए नहीं है।” प्रसाद ने दावा किया कि इन कानूनों से कृषि में विदेशी हस्तक्षेप को अनुमति मिलेगी और कहा कि इनसे कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट का अधिपत्य हो जायेगा। अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रदर्शनका री किसानों के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को बिना शर्त वापस लिये जाने की भी मांग की।

किसान संगठन ने ट्वीट किया, ”किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को डराने धमकाने के लिये दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल करने के लिये अखिल भारतीय किसान सभा मोदी सरकार की कड़ी निंदा करता है।”

किसानों की ओर से आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का वाम दलों ने समर्थन किया

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलन को लेकर देश की सियासत भी लगातार गरमाती जा रही है। वहीं, कुछ किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। वाम दलों ने किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए राष्ट्रव्यापी बंद को शनिवार को समर्थन करने की घोषणा की। वाम दलों की ओर से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गई है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), रिव्ल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने संयुक्त वक्तव्य में यह घोषणा की। वक्तव्य में कहा गया, ‘‘वाम दल नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हैं और इन प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं। वाम दल उनके द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ का भी समर्थन करते हैं।’’

बयान में कहा गया, ‘‘वाम दल भारतीय कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हमारे अन्नदाताओं के खिलाफ आरएसएस/भाजपा के द्वेषपूर्ण प्रचार और बेतुके आरोपों की निंदा करते हैं।’’ वाम दलों ने बयान में कहा कि वे किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) विधेयक-2020 को वापस लेने की मांग का भी समर्थन करते हैं। बयान में कहा गया, ‘‘वाम दल इन कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांगों के साथ खड़े सभी राजनीतिक दलों और ताकतों से अपील करते हैं कि वे आठ दिसंबर के भारत बंद का समर्थन करें और सहयोग करें।’’ (इंपुट: भाषा के साथ)

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