फेसबुक और इंस्टाग्राम ने कोरोना वैक्सीन से मौत के दावों से जुड़ा PIB का फैक्ट चेक पोस्ट को हटाया; सरकार की दखल के बाद बहाल किया

0

पिछले महीने से जारी केंद्र सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच चल रहे विवाद को बढ़ावा उस समय मिल गया जब फेसबुक और इंस्टाग्राम ने प्रेस इंफरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा शेयर किए गए एक फैक्ट चेक पोस्ट को हटा दिया। पीआईबी ने यह पोस्ट कोरोना टीकाकरण के बाद होने वाली मौत को लेकर किया था, जिसमें उन दावों का खंडन किया गया था कि कोरोना का टीका लेने से मौत हो जाती है। हालांकि, सरकार के हस्तक्षेप के बाद दोनों प्लेटफार्मों पर पोस्ट को बहाल कर दिया गया।

फेसबुक और इंस्टाग्राम
फोटो: India TV

दरअसल, ‘पीआईबी फैक्ट चेक’ हैंडल से 25 मई को फेसबुक और इंस्टाग्राम में एक पोस्ट शेयर किया था। सरकारी संस्था पीआईबी ने अपने पोस्ट में फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता ल्यूक मॉन्टैग्नियर के उन दावों को खारिज किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोविड-19 की वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति की दो सालों में मौत हो सकती है।

इस दावे का खंडन करते हुए पीआईबी की तरफ से शेयर की गई पोस्ट के अनुसार, “फ्रांस के नोबल पुरस्कार विजेता के हवाले से कोविड-19 को लेकर एक तस्वीर कथित रूप से सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है… तस्वीर में किया जा रहा दावा झूठा है… कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है… इस तस्वीर को आगे शेयर ना करें।’

एक दिन बाद ही दोनों ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने बिना किसी स्पष्टीकरण के इस पोस्ट को हटा दिया। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि, फेसबुक ने इसके बाद एक चेतावनी भी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि ‘झूठी खबरें’ शेयर करने के कारण पीआईबी के पेज को अनपब्लिश किया जा सकता है।

सोशल मीडिया की इस कार्रवाई के बाद पीआईबी ने आईटी मंत्रालय का रुख किया। बाद में मंत्रालय ने ईमेल के जरिए फेसबुक और इंस्टाग्राम से संपर्क साधा और दोनों प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट को बहाल किया गया। फेसबुक के प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘कंटेंट को गलती से ब्लॉक कर दिया था’, लेकिन बाद में रीस्टोर कर दिया था।

इस घटना के बाद से आईटी मंत्रालय ने फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट के मुताबिक, संभावना जताई जा रही है कि मंत्रालय सोशल मीडया कंपनियों को फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और नियुक्त किए गए फैक्ट चेकर्स की जानकारी साझा करने के लिए पत्र लिख सकता है।

आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पीआईबी द्वारा साझा की गई पोस्ट और सामग्री को फेसबुक द्वारा हटा दिया गया और बाद में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बहाल कर दिया गया।

Previous articleहिमाचल: BJP विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन, कोरोना से ठीक होने के बाद बिगड़ी थी तबीयत
Next articleउपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के निजी ट्विटर अकाउंट का वापस आया ब्लू टिक