चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले बुधवार (22 मई) को विपक्षी दलों को झटका देते हुए मतगणना से पहले वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की पर्चियों के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मिलान की मांग को खारिज कर दिया है। ईवीएम-वीवीपीएटी के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने अपनी बड़ी बैठकर कर इस संबंध में फैसला लिया। बता दें कि मंगलवार को 22 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से यह मांग की थी, लेकिन विपक्ष की VVPAT-EVM का मिलान पहले करने की मांग को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले मंगलवार को कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आप समेत 22 दलों ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की थी। विपक्ष ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि 23 मई को मतगणना शुरू होने से पहले बिना किसी क्रम के चुने गए पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपीएटी पर्चियों की जांच की जाए। विपक्षी दलों ने यह भी कहा था कि यदि किसी एक मतदान केंद्र पर भी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान सही नहीं पाया जाता तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र में सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की जाए।
Election Commission rejects demands of opposition parties' regarding VVPAT. More details awaited pic.twitter.com/zyxETDjWOE
— ANI (@ANI) May 22, 2019
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं कहा था ‘‘हमनें मांग की है कि वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान पहले किया जाए और फिर मतगणना की जाए। यह हमारी सबसे बड़ी मांग हैं।” वहीं, बसपा के दानिश अली ने कहा था कि स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर जो शिकायतें थीं वे हमने चुनाव आयोग के समक्ष रखी हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश का प्रशासन मनमानी कर रहा है, क्योंकि भाजपा को पता है कि जनता का क्या फैसला दिया है। अब वे हेराफेरी करना चाहते हैं।
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से एक बार फिर से मांग की है कि जिन 5 वीवीपैट की गिनती होनी है, उनकी गिनती शुरुआत में ही हो। कई पूर्व चुनाव आयुक्त हमारे समर्थन में हैं, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी हमारे समर्थन में बयान दिया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ईवीएम में कथित धांधली की रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा था कि ये मशीनें चुनाव आयोग की हिफाजत में हैं और इनकी सुरक्षा और सभी अटकलों को निराधार साबित करना उसकी जिम्मेदारी है।
चुनाव आयोग पहुंचे विपक्षी नेताओं के इस प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस से अहमद पटेल, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद और अभिषेक मनु सिंघवी, माकपा से सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओब्रायन, तेदेपा से चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल, सपा से रामगोपाल यादव, बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा और दानिश अली, द्रमुक से कनिमोई, राजद से मनोज झा, राकांपा से प्रफुल्ल पटेल एवं माजिद मेमन और कई अन्य पार्टियों के नेता शामिल थे।