दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों की मतगणना फिर से शुरू हो गई है। दरअसल, ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत के बाद करीब एक घंटे के लिए मतगणना रोक दी गई थी। जिसके बाद छात्रों ने ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर जमकर हंगामा भी किया था। जिसके बाद ‘‘खराब ईवीएम और इसे लेकर छात्रों के हंगामे’’ को देखते हुए बीच में ही रोकनी पड़ी थी।
ईवीएम में खराबी के आरोपों के बाद मतगणना को पहले एक घंटे के लिए रोका गया था। मतगणना के शुरुआती रूझानों में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे चल रही थी जबकि उपाध्यक्ष पद पर बीजेपी से संबद्ध एबीवीपी का उम्मीदवार आगे था।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों के लिए बुधवार को शाम साढ़े सात बजे तक करीब 44.46 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान शांतिपूर्ण रहा। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के कॉलेजों में 52 केंद्रों पर मतदान हुआ। डूसू चुनावों में 1.35 लाख छात्र 23 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।
सुबह साढ़े आठ बजे और साढ़े नौ बजे के बीच 18.5 फीसदी मतदान हुआ और सुबह साढ़े 11 बजे तक 34 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। नॉर्थ कैम्पस में भारी संख्या में पुलिस बल यानी करीब 700 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। पुलिस ने रामजस कॉलेज के बाहर प्रश्नचिह्न का निशान पहने एक व्यक्ति को पकड़ा।
डूसू चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रत्याशी मैदान में हैं, वहीं आम आदमी पार्टी (आप) की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति ने वामपंथी छात्र संगठन अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) के साथ गठबंधन किया है।
एनएसयूआई ने इन चुनावों में दिल्ली विश्वविद्यालय को ‘‘उत्कृष्टता संस्थान’’ का दर्जा दिलाने और दस रुपये की थाली का वादा किया है जबकि एबीवीपी ने छात्र संघ का 50 फीसदी बजट महिलाओं और सामाजिक न्याय संबंधित गतिविधियों पर खर्च करने तथा खेलों को बढ़ावा देने और कॉलेज परिसरों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाने का वादा किया है।
आप के फरवरी 2015 में दिल्ली में सत्ता में आने के बावजूद उसकी छात्र ईकाई डूसू चुनावों में असफल रही है। उसने सीसीटीवी कैमरे लगाने, परिसर में पुलिस बूथ लगाने, ‘‘गुंडागर्दी की संस्कृति’’ खत्म करने और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का वादा किया है। पिछले साल 43 फीसदी मतदान हुआ था।