…तो क्या राफेल इंटरव्यू के दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे अर्नब गोस्वामी?

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राफेल डील को लेकर संसद से सड़क तक जारी घमासान के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के संपादक और एंकर अर्नब गोस्वामी को एक ताजा इंटरव्यू दिया है। चैनल के एडिटर इन चीफ गोस्वामी ने दावा किया कि यह राफेल पर आखिरी इंटरव्यू है। इस इंटरव्यू के दौरान निर्मला सीतारमण ने संसद में झूठ बोलने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए विपक्ष पर हमला बोला।

हालांकि, करीब एक घंटे के इस मैराथन इंटरव्यू में कई गंभीर सवालों के दौरान रक्षा मंत्री संघर्ष करती हुईं दिखाई दीं। जैसे कि वायुसेना को जब 126 विमानों की जरूरत थी तो सिर्फ 36 विमानों का सौदा क्यों हुआ? जबकि आपकी सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से यूपीए सरकार के मुकाबले राफेल सौदा 9 फीसदी सस्ते में हुआ है। इस सवाल के जवाब के दौरान रक्षा मंत्री काफी संघर्ष के बाद भी एंकर को संतुष्ट नहीं कर पाईं।

सीतारमण ने कहा कि भारतीय वायुसेना को संभवत: 126 की नहीं बल्कि 500 से 600 विमानों की जरूरत है। रक्षा मंत्री विमानों की व्याख्या करते समय लड़खड़ाती हुई नजर आईं। हालांकि, उन्होंने बाद में अपने आप को संभाल लिया। इंटरव्यू में अर्नब ने जब सीतारमण से गत वर्ष नवंबर में उनकी सरकार के रक्षा राज्य मंत्री द्वारा संसद में बताई गई राफेल विमान की कीमतों से सहमत हैं तो इस दौरान भी वह सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दे पाईं।

एंकर ने रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने संसद को बताया था कि 36 राफेल विमानों, सेवाओं और हथियारों की खरीद के लिए 23 सितंबर 2016 को भारत-फ्रांस के बीच अंतर सरकारी करार (IGA) हुआ। उन्होंने बताया था कि प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 670 करोड़ रुपये है। भामरे ने लिखित में दावा किया था कि फ्रांस सभी विमानों को अप्रैल 2022 तक भारत के सुपुर्द कर देगा। अपने जवाब के दौरान सीतारमण अपने ही मंत्री की बातों पर पूरी तरह से सहमती नहीं जता पाईं।

इसके अलावा जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बारे में भी सफाई देते हुए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा जिसमें ओलांद ने कहा था कि भारत सरकार ने राफेल विमान सौदे में फ्रांस की विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट एविएशन के ऑफसेट साझेदार के तौर पर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था और ऐसे में फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था। इतना ही नहीं राफेल से जुड़े कई सवालों के दौरान रक्षा मंत्री को काफी मेहनत करनी पड़ी।

बीजेपी और मोदी सरकार से अर्नब का मोहभंग!

पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि अर्नब गोस्वामी का बीजेपी और मोदी सरकार से मोहभंग हो गया है। दरअसल, ‘रिपब्लिक टीवी’ और उसके एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को हमेशा सत्तारूढ़ बीजेपी के मुखपत्र होने के आरोपों का सामना करना पड़ता है। टाइम्स नाउ से इस्तीफा देने के बाद जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की मदद से ‘रिपब्लिक टीवी’ लॉन्च किया उसके बाद उनकी साख पर काफी बुरा असर पड़ा।

हालांकि, रविवार (6 जनवरी) रात गोस्वामी ने जिस प्रकार से बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को लताड़ लगाई उससे ऐसा लग रहा है अब नरेंद्र मोदी सरकार से उनका भोहभंग हो गया है। गोस्वामी ने रविवार रात बीजेपी और मोदी सरकार पर तीखा हमला किया था। उन्होंने बीजेपी पर ‘झूठ की राजनीति’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर सभी को हैरान कर दिया। गोस्वामी ने बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को हड़काते हुए कहा कि आप झूठ बोलते हैं, आपके आईटी सेल के लोग फर्जी न्यूज फैलाते हैं।

उन्होंने बीजेपी प्रवक्ता को लताड़ लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में जेलों में लोगों की हत्याएं सबसे ज्यादा हो रही हैं, राम मंदिर मुद्दे पर आप लगातार झूठ बोलते चले आ रहे हैं। कूड़ा कर दिया है आप लोगों ने…आपके पास किसी बात का कोई जवाब नहीं है। इंटरव्यू देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि अर्नब गोस्वामी इस बार सीतारमण और मोदी सरकार की उम्मीदों पर खरा नहीं है। क्योंकि उन्हें लगा होगा कि अर्नब उनसे हर बार की तरह इस बार भी हल्के सवाल पूछकर छोड़ देंगे, लेकिन शायद ऐसा नहीं हो पाया।

 

 

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