खुलासाः सहारा की रिश्वतखोरों वाली डायरी और मोदी के नोटबंदी वाले फैसले के बीच तालमेल?

1

पिछले दो दिनों से हम लगातार चौंकाने वाले खुलासों की रिर्पोटिंग करते हुए बता रहे है कि किस तरह से सहारा और आदित्य बिड़ला ग्रुप की डायरियां सामने आने से सच खुलकर आ रहा है।

इन डायरियों की प्रविष्टियों में करोड़ो रुपए के भुगतान ‘गुजरात के मुख्यमंत्री’ और ‘मोदी जी,’ ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री,’ ‘छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री’ और ‘शायना एनसी जी’ के नाम मुख्य तौर पर दिखाई दे रहें है।

इस मूल्याकंन रिर्पोट के अनुसार, आदित्य बिड़ला ग्रुप ने मोदी को 25  करोड़ रूपये रिश्वत के रूप में भुगतान किया था।

बिरला डायरी में मुख्यमंत्री के आगे कोष्ठक में दिए गए पुष्टी की थी और लिखा था कि ’12 दे दिया गया है और बाकी?’ उस समय नरेन्द्र मोदी 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

दस्तावेज़ आयकर अधिकारियों द्वारा कि गई छापेमारी जो क्रमशः 2013 और 2014 में आदित्य बिड़ला ग्रुप व सहारा समूह के कार्यालयों पर की गई थी। ये उन्हीं के मूल्याकंन की रिर्पोट थी। जनता का रिर्पोटर द्वारा ये दस्तावेज़ बरामद होने के बाद इसका खुलासा हुआ।

रिर्पोट के पेज 89 में उल्लेख है कि कम से कम आठ भुगतान अहमदाबाद में सहारा कर्मचारी ‘जायसवाल जी’ के माध्यम से ‘मोदी जी’ को हुए।

ये भुगतान कुल 40.10 करोड़ रूपये का था जो जायसवाल जी द्वारा ‘मोदी जी’ को 30 अक्टूबर 2013 से 21 फरवरी 2014 के बीच हुआ। उस समय मोदी बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और लोकसभा के लिए अपना चुनावी अभियान शुरू कर चुके थे।

उसी पृष्ठ पर अन्य प्रविष्ठियों से ज्ञात होता है कि कुछ और महत्वपूर्ण भुगतानों में MP के मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री दिल्ली का नाम है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री’ को 10 करोड़ का भुगतान दो किश्तों में भुगतान ‘नीरज वशिष्ठ’ के द्वारा किया गया था और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 4 करोड़ का भुगतान नंदी जी द्वारा किया गया था।

‘ दिल्ली की मुख्यमंत्री’ ने जायसवाल से एक करोड़ रुपया प्राप्त किया जायसवाल वो ही है जिसने 23 सितंबर, 2013 को ‘मोदी’ को 40.1 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

रिपोर्ट के पेज नंबर, 90 पर, इसी तरह के भुगतान की एक सूची है , लेकिन इस सूची में ‘मोदी’ को ‘गुजरात के मुख्यमंत्री’ के रुप में कहा गया हैं। जबकि भुगतान करने वाले का नाम ‘जायसवाल जी’ ही रहा है।

पेज नंबर 91 पर, अन्य नामों के साथ ‘शायना एनसी जी,’ का भी नाम है जिन्हे भुगतान उदय जी के माध्यम से किया गया था, ‘शायना एनसी जी’ को 4 करोड़ का भुगतान किया गया है। दस्तावेजों के अनुसार, ‘शायना एनसी जी’ को 4 करोड़ रुपये चार किश्तों में 28 अगस्त 2013 और 20 जनवरी 2014 के बीच किया गया था।

पेज 92 पर ऐसे कई नाम हैं जिन्हे वादा की गई राशि का भुगतान होना है शीट की एक लाइन में अंकित है कि शायना एनसी से एक A. General से बंबई में चल रहे एक केस के लिए मदद मांगी गई है।

पृष्ठभूमि

सहारा और बिड़ला पर अक्टूबर 2013 और नवंबर 2014 में छापा मारा गया था। टेक्स अधिकारी इस मुद्दे पर जांच कर ही रहे थे की अचानक  केबी चौधरी को मुख्य सतर्कता आयोग का प्रमुख बना दिया गया। चौधरी उस समय जांच की निगरानी कर रहे थे और उनको CVC का प्रमुख बनाया जाना इसलिए चौंकाने वाला क्योंकि ये एजेंसी सीबीआई जैसी संस्था की भी निगरानी करता है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के अनुसार, नरेंद्र मोदी द्वारा जांच को बाधित करने का यह पहला प्रयास था। उनके अनुसार चौधरी की पदोन्नति करके केंद्र की भाजपा सरकार ने सहारा और बिरला से मिली जानकारी पर पर्दा डालने का प्रयास किया था।

जैसी कि उम्मीद थी, भूषण ने उनकी नियुक्ति को चुनौती दी।

इस बीच, सहारा ने पहले से ही आयकर निपटान आयोग का दरवाजा खटखटाया था।

लेकिन सवाल यह है,कि सहारा ने निपटान आयोग को कंपनी के खिलाफ आरोपों को चुनौती देने के लिए क्यों चुना।

आयकर विशेषज्ञों का मानना था कि सहारा ने कानूनी रास्ता इसलिए नहीं चुना, इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल, निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया में कई साल लग जाते हैं। और जब तक ये प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाती, वो तमाम दस्तावेज़ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास ही रहती।  और चूँकि इन दस्तावेज़ में कई बड़ी हस्तियों के नाम थे तो संभव है कि केंद्र में आने वाली दूसरी सरकार भविष्य में इस मामले पर नए सिरे से कार्रवाई कर सकती थी।

यह सहारा और नेताओं के हित में था कि इन दस्तावेजों को नष्ट कर दिया जाए।

आयकर निपटान आयोग

1976 में बनाए इस कमीशन का काम होता है कि ये टैक्स जमा ना करने वालों का एक बार में निपटारा करता है तथा डिफाल्टर लोगों को टैक्स मामलों का निपटारा कर क्लीन चिट देता है। सेटलमेंट कमीशन की वेबसाइट भी बताती है कि करदाताओं की अतिरिक्त आय का खुलासा कर आयकर विभाग से क्लीन चिट प्राप्त की जा सकती हैं।

तय समय-सीमा में ये कमीशन मामलों का निबटारा करता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि कमीशन को निर्णय लेने की और पेनेल्टी लगाने की शक्ति प्राप्त हैं। और कमीशन का फैसला अंतिम होता है और उसे किसी भी अदालत में चुनैती नहीं दी जा सकती है।

नोटबंदी मामले से जुड़ती कड़िया

इसी साल 25 अक्टूबर को , भूषण ने मुख्य सतर्कता आयोग समेत, मुख्य सतर्कता आयुक्त, काला धन पर  दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों विशेष जांच दल के मुखिया सहित सभी जांच एजेंसियों को पत्र लिखा।

मजे की बात ये है कि दो दिन बाद, दैनिक जागरण अखबार ने केंद्र सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की योजना की खबर छापी थी, 27 अक्टूबर 2016 की तारीख को दैनिक जागरण अखबार ने भी य़े खबर छापी थी इस खबर में मोटा-मोटा लिखा था कि अब 2 हजार का नोट आएगा और कालेधन पर नकेल कसेगी।

 

सूत्रों के मुताबिक, सीवीसी ने कथित तौर पर भूषण द्वारा दायर शिकायत के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सतर्क कर दिया था। जेटली ने सहारा रिश्वत विवरण का खुलासा होने के बारे में कथित तौर पर मोदी को आगाह कर दिया था।

भूषण ने कहा, “जाहिर है, सीवीसी में मेरी शिकायत से घबराहट का माहौल बना गया। वे वास्तव में चिंतित ही नहीं बल्कि इस जानकारी के दूसरों के कब्जे में होने के कारण परेशान भी थे।

सरकार के अंदरूनी सुत्रों का कहना था कि मोदी सरकार अगले साल नोटबंदी के फैसले को अमल में लाने वाली थी। लेकिन अचानक से लिए गए इस फैसले से खुद भाजपा के कई वरिष्ठ नेता हैरान है।

8 नवम्बर को सेटेलमेंट कमीशन को लिखते हुए भूषण ने याद दिलाया था कि इस मामले को गम्भीरता से लिया जाए। ये पत्र इस कमीशन का ध्यान खींचने के उद्देश्य से दिया गया था ताकि इस पर कोई बड़ा कदम उठाया जा सके।

भूषण ने कहा कि सरकार इस पर से ध्यान हटाने में सफल रही, और इससे बचने के लिए नोटबंदी के फैसले को अमल में लेकर आ गई। इससे लोगों को दिखाया गया कि सरकार काले धन पर कारवाई कर रही है।

प्रशांत भूषण ने आठ नवम्बर को सेटलमेंट कमीशन को चिट्ठी लिखी थी और ठीक उसी दिन रात के आठ बजे मोदी ने नोटबंदी की घोषणा कर डाली।  सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का उद्देश्य सहारा डायरी में छिपी जानकारी के सार्वजानिक होने से उनकी छवि पर होने वाले नुकसान को काम करना था।  कुछ लोगों का माना था है कि नोटबंदी का एलान ठीक उसी दिन जिस दिन भूषण ने सेटलमेंट कमीशन को चिट्ठी लिखी करने के पीछे लोगों को ये बताना उद्देश्य था कि मोदी काले धन पर कितने गंभीर है।

‘भाजपा’ ने अपने सभी दोस्तों को नुकसान से बचने के लिए पुराने नोटों के निपटारे के बारे में कथित तौर पर अलर्ट कर दिया था। इस वजह से भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई नोटबंदी की घोषणा सार्वजनिक होने से पहले सेंट्रल एवेन्यू शाखा में 1 करोड़ रुपये जमा करने की जल्दी में थे।

राजस्थान से कोटा जिले के बीजेपी विधायक भवानी सिंह रजावत ने उनकी बिना जानकारी के लिए गए वीडियों में स्वीकार किया कि नोट बंद होने की जानकारी का ‘अडानी-अंबानी, अटरम-सटरम’ को पहले से ही पता था। इनको हिंट दे दिया गया था। उन्होंने अपना कर लिया।

आपको बता दे कि नोटबंदी पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया था कि नोटबंदी की सूचना के बारें में बीजेपी के लोगों पहले से ही पता था।

इसके अलावा ये भी खबर है कि एक भाजपा सांसद, नोटबंदी  पर घोषणा से पहले उन्होंने अपने कर्मचारियों को छह महीने की एडवांस सेलरी का भुगतान किया था।

केंद्र सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बाद हुए विवादों के नतीजों से निपटने के लिए सरकार द्वारा जाहिर असमर्थता जाहिर किए जाने की  निंदा की गई ।

एक सप्ताह के अवधि के अंदर, मोदी सरकार ने अपने निर्देशों में कई बार बदलाव किए है। पहले पुराने नोटों के बदले नए नोट निकालने की राशि 4000 रुपये की गई,  लेकिन जल्द ही इसे बढ़ाकर 4,500 रुपये तक कर दिया गया फिर इस राशि को घटाकर पुराने नोट के बदले नए नोट लेने की राशि 2000 रुपए कर दी गई।

मोदी सरकार की इस घोषणा के बाद 47 लोगों की मौत हो गई थी  जिसके बाद सरकार ने सबके लिए 24,000 रुपये और किसानों के लिए 25,000 रुपये साप्ताहिक निकासी सीमा में वृद्धि की।

Previous articleRevealed! Links between PM Modi’s demonetisation and Sahara’s bribery diary
Next articleDemonetisation has killed more people than Uri attack: Ghulam Nabi Azad