पीएम मोदी की डिग्री को सार्वजनिक करने वाले केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को दिल्ली विश्वविद्यालय चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में आ गया है। इंडिया टुडे की खबर के अनुसार विश्वविद्यालय ने तर्क दिया है कि डिग्री एक छात्र का निजी दस्तावेज होती है उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अब यह आश्वस्त हो गया है कि मोदी जी की डिग्री फर्जी थी। उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि मोदी की डिग्री निश्चित रूप से नकली है। उन्होंने इसे छुपाने के लिए पूरी कोशिश की हैं।
केंद्रीय सूचना आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय को वर्ष 1978 में बीए डिग्री पास करने वाले सभी विद्यार्थियों के रिकॉर्ड की पड़ताल करने का निर्देश दिया था। 1978 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीए की परीक्षा पास की थी।
इसके साथ ही पीएम मोदी की डिग्री को लेकर आरटीआई को खारिज करने पर विश्वविद्यालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी पर 25 हजार रुपये को जुर्माना लगाया था।
आयोग ने विश्वविद्यालय की केंद्रीय जन सूचना अधिकारी की यह दलील खारिज कर दी थी कि यह तीसरे पक्ष की व्यक्तिगत सूचना है। उसने कहा कि इस दलील में उसे दम या कोई कानूनी पक्ष नजर नहीं आता है।
CIC ने विश्वविद्यालय को 1978 में कला स्नातक उत्तीर्ण होने वाले सभी विद्यार्थियों के क्रमांक, नाम, पिता के नाम, प्राप्तांक समेत सभी सूचनाएं देखने देने तथा इनसे संबंधित रजिस्टर के संबंधित पेज का प्रमाणित प्रति मुफ्त में उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।।