दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। बता दें कि शरद यादव ने राज्यसभा से अपने अयोग्य किए जाने के खिलाफ राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के आदेश को तुरंत निरस्त करने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि सांसद के तौर पर उनको मिलने वाली भत्ता और बंगला मिलता रहेगा।
आपको बता दें कि शरद यादव ने बुधवार (13 दिसंबर) को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने के राज्यसभा के सभापति के फैसले को चुनौती दी थी। शरद यादव की इस याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया था।
Delhi High Court refuses to interfere in Sharad Yadav’s disqualification from Rajya Sabha matter but allows him to keep allowances and govt bungalow for now.
— ANI (@ANI) December 15, 2017
लेकिन शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शरद यादव की राज्यसभा की सदस्यता रद्द होने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने उन्हें सांसद के तौर पर मिलने वाली सभी सुविधाएं बरकरार रखने का आदेश दिया है। यानि अंतिम रूप से निर्णय आने तक उनको मिलने वाली सुविधाएं जैसे- आवास, वेतन, चिकित्सा आदि बरकरार रहेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मामले की अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी।
बता दें कि जेडीयू की अपील पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इसी महीने चार दिसंबर को शरद यादव के साथ-साथ अली अनवर को भी राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया था। यादव ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्यसभा के उपसभापति ने उनके तथा उनके पार्टी सहयोगी एवं सांसद अली अनवर के खिलाफ चार दिसंबर को आदेश देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया। उन्होंने राज्यसभा के उपसभापति एम वेंकैया नायडू के फैसले पर अंतरिम आदेश देने की मांग की थी।
इसी वर्ष जुलाई माह में जब जदयू के अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में राजद और कांग्रेस वाला महागठबंधन छोड़ने और बीजेपी के साथ जुड़ने का फैसला लिया था तब शरद यादव ने विपक्ष के साथ हाथ मिला लिया था। यादव और अनवर को अयोग्य घोषित करते हुए उपसभापति ने जदयू की इस बात को माना था कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों को अनसुना करके और विपक्षी दलों के आयोजनों में शामिल हो कर अपनी सदस्यता स्वेच्छा से त्यागी है।
जदयू ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी कि दोनों नेता पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पटना में विपक्षी दलों की रैली में शामिल हुए हैं। यादव सदन में पिछले वर्ष चुने गए थे और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होना था। अनवर का कार्यकाल अगले वर्ष के प्रारंभ में समाप्त होना था।