केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व विशेष निदेशक और गुजरात कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से तीन दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किए जाने के मामले में सियासत गरमाती जा रही है। इस बीच, दिल्ली विधानसभा ने राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया। उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए आप विधायकों ने मानसून सत्र के पहले दिन दिल्ली विधानसभा के नियम-55 के तहत यह मुद्दा उठाया।
इस मसले पर सबसे पहले बोलने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक संजीव झा ने कहा कि राकेश अस्थाना को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। बुरारी से आप के विधायक संजीव झा ने कहा, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि छह महीने से कम के कार्यकाल वाले किसी भी अधिकारी को शीर्ष पद के लिए नामित नहीं किया जाना चाहिए।
विधानसभा में इस मुद्दे पर बोलने वाले अन्य आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी, सोमनाथ भारती और सत्येंद्र जैन थे। बता दें कि, अस्थाना मई 2019 में सीबीआई प्रमुख बनने के लिए सबसे आगे थे, लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले के बाद उन्हें इस पद के लिए नियुक्त नहीं किया गया।
हालांकि, विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने लंबे सेवा कार्यकाल के दौरान अस्थाना द्वारा किए गए कई असाधारण कार्यों को उजागर करते हुए केंद्र के फैसले का बचाव किया और कहा कि उन्हें 2009 में राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया था।
बिधूड़ी ने कहा, इस सदन को राकेश अस्थाना का दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में स्वागत करना चाहिए। उनकी सेवा अवधि और कार्यों ने इस देश में एक उदाहरण स्थापित किया है। वह दिल्ली की बेहतरी के लिए काम करेंगे। जो ईमानदार हैं उन्हें अस्थाना की नियुक्ति से चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में सेवानिवृत्त होने से तीन दिन पहले मंगलवार शाम को अस्थाना को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त करने की घोषणा की थी। (इंपुट: IANS के साथ)