मई 2014 के बाद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री का प्रभार संभाला है तब से सोशल मीडिया पर एक अलग तरह का माहौल तैयार कर दिया गया है। एक अभियान के तहत सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया जा रहा है। हालात यह है कि अब सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा भी ऐसा ट्वीट किया जा रहा है जो समझ से परे है। हैरानी की बात यह है कि इस अभियान में अब सेना को भी घसीटने की पूरी कोशिश हो रही है। इस बीच पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश भी इस लपेटे में आ गए हैं।
दरअसल, रक्षा मंत्रालय को शुक्रवार(26 अक्टूबर) को एक असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। मंत्रालय की प्रवक्ता स्वर्णश्री राव राजशेखर ने अरुण प्रकाश की एक टिप्पणी के जवाब में ‘गलती से’ माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विवटर पर एक ट्वीट पोस्ट कर सैन्य अधिकारियों द्वारा ‘विशेषाधिकारों का दुरुपयोग की आलोचना’ कर दी। स्वर्णश्री राव राजशेखर की ट्वीट पर हंगामा होने के बाद शुक्रवार को वह छुट्टी पर चली गईं। रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘कर्नल अमन आनंद रक्षा मंत्रालय के कार्यवाहक आधिकारिक प्रवक्ता होंगे क्योंकि प्रवक्ता अवकाश पर चली गई हैं।’
समाचार एजेंसी भाषा के हवाले से एक न्यूज़ वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि ट्वीट के बाद उत्पन्न असहज स्थिति के कारण राव राजशेखर को अवकाश पर जाने को कहा गया है। राजशेखर के ट्वीट पर पूर्व सैन्य अधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया की। इसके बाद उन्होंने ट्वीट हटाते हुए कहा, ‘ट्वीट गलती से हो गया और इसके लिए बहुत खेद है।’ इससे पहले, ऐडमिरल प्रकाश ने एक तस्वीर रीट्वीट की थी जिसमें सेना की पश्चिमी कमान के आंतरिक वित्तीय सलाहकार की आधिकारिक कार की बोनट पर एक सैन्य ध्वज दिखाया गया था।
प्रकाश ने ट्वीट किया, ‘हालांकि, किसी असैन्य व्यक्ति द्वारा सेना कमान के चिह्न का दुरुपयोग संज्ञेय अपराध नहीं है, इस शख्स को ‘जीओसी इन सी’ द्वारा फटकार लगाए जाने की जरूरत है, जिसके वह वित्तीय सलाहकार हैं।’ अरुण प्रकाश के इस ट्वीट पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा ऐसी प्रतिक्रिया दी गई कि जिसे देखकर सोशल मीडिया यूजर्स हैरान हो गए।
पूर्व नौसेना प्रमुख की टिप्पणी पर जवाब देते हुए राजशेखर ने ट्वीट किया, ‘अधिकारी रहने के दौरान आपके आवास में जवानों के साथ हुए दुरुपयोग का क्या कहेंगे सर? और फौजी गाड़ियों में बच्चों को स्कूल छोड़ने एवं वापस घर लाने पर क्या कहेंगे? सरकारी गाड़ियों से मैडम के शॉपिंग करने के लिए जाने की बात नहीं भूलिए। और वे अंतहीन पार्टियां करना…उनके लिए कौन भुगतान करता है।’
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर लोग हैरान हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि अब सरकार के मंत्रालयों में भी ट्रोलर्स का कब्जा हो गया है। हालांकि मोदी सरकार के समर्थक और ट्रोलर्स रक्षा प्रवक्त के समर्थन में आ गए हैं।
हालांकि विवाद बढ़ता देख रक्षा प्रवक्ता ने शुक्रवार को अधिकारियों द्वारा सरकारी वाहनों के उपयोग की आलोचना करने पर खेद प्रकट किया। साथ ही उस विवादित ट्वीट को हटा लिया गया। लेकिन सोशल मीडिया पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के इस विवादित ट्वीट का स्क्रीनशॉट जमकर शेयर हो रहा है। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने 72 वर्षीय ऐडमिरल प्रकाश को दिए उनके जवाब पर तीखी प्रतिक्रिया जताई।
प्रकाश जुलाई 2004 और अक्टूबर 2006 के बीच चीफ ऑफ नेवी स्टाफ थे। कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि प्रधान प्रवक्ता की टिप्पणी सशस्त्र बलों के प्रति नौकरशाही का रुख प्रदर्शित करती है। सेवानिवृत्त मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से कहा कि प्रवक्ता की टिप्पणी ने सेना के तीनों अंगों के प्रति मंत्रालय का असली रंग दिखाया है।
सेवानिवृत्त एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने प्रवक्ता के ट्वीट को शर्मनाक बताया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद और रिपब्लिक टीवी के संस्थापक राजीव चंद्रशेखर ने रक्षा मंत्री और पीएमओ को टैग करते हुए ट्वीट कर लिखा है कि यह रक्षा प्रवक्ता कौन है जो एमओडी का समर्थन करता है। यह आचरण अस्वीकार्य है। इसकी जांच होनी चाहिए। यह अपमान और अहंकार से भरा प्रतिक्रिया है।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब सरकार के किसी मंत्रालय द्वारा विवादित ट्वीट किया गया हो। इससे पहले 2016 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेल टिकट की कीमतों को लेकर एक ट्वीट किया था। जिस पर एक शख्स ने पलटवार कर केजरीवाल पर निशाना साधा था। लेकिन उस वक्त बवाल तब और बढ़ गया जब रेल मंत्रालय ने उस शख्स के ट्वीट को अपने हैंडल से रीट्वीट कर दिया।
इसके अलावा उसी वर्ष जुलाई में, स्टार्ट अप इंडिया के समर्थन में एक दक्षिणपंथी ट्रोलर्स ने विवादित ट्वीट किया था। हैरानी की बात यह है कि इस घृणास्पद ट्वीट को स्टार्ट अप इंडिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर कर दिया गया था। इसी तरह दिल्ली एयरपोर्ट के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा किया गया एक ट्वीट को लेकर भी बवाल मचा था।
इसी तरह इस साल अगस्त महीने में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग से अंपायरिंग के कोर्स करने में मदद मांगी गई थी। जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर ट्रोल किया था। ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे साबित होता है कि सरकार के कई मंत्रालयों में ट्रोलर्स का कब्जा हो गया है।