उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जिले के घंडुआ गांव में एक दलित की भूख से मौत का मामला सामने आया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने शख्स की भूख से मौत की बात को खारिज किया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कई दिनों तक खाना न खाने की वजह से मौत होने की पुष्टि हुई है।
बता दें कि इसी जिले के ऐला गांव में नत्थू रैदास की पिछले साल कथित तौर पर भूख से मौत हो गई थी और यह मामला संसद में गूंजा था। वहीं, अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) महोबा महेंद्र सिंह ने मंगलवार(22 अगस्त) को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से बताया कि मृतक छोट्टन (38) को मधुमेह की बीमारी थी और उसकी मौत बीमारी से ही हुई है।
हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि ‘मृतक को कई दिनों से खाना नहीं मिला था, लेकिन यह भी संभव है कि वह बीमारी की वजह से खाना न खा सका हो।’ उन्होंने कहा कि फिर भी मृतक के दाह संस्कार के लिए पांच हजार रुपये और परिवार के लिए पचास किलोग्राम अनाज का इंतजाम कर दिया गया है।
उधर, मृतक की पत्नी उषा का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से घर में एक भी अनाज नहीं था। उसका पति बीमार जरूर था, लेकिन मनरेगा की मजदूरी न मिलने की वजह से वह इलाज नहीं करा सकी और भूख व इलाज के अभाव में पति की मौत हुई है।
यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे नरैनी क्षेत्र क्षेत्र के पूर्व विधायक गयाचरण दिनकर ने कहा कि योगी सरकार भूख से दलितों की मौत और ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत को तवज्जो नहीं देती, बल्कि सड़क दुर्घटना में एक जानवर की मौत पर धरती पलटने की कूव्वत रखती है।’