सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार पिठोरिया की युवती ऋचा भारती उर्फ ऋचा पटेल (19) को रांची के व्यवहार न्यायालय से सोमवार को सशर्त जमानत मिल गई। अदालत ने आरोपी को पांच कुरान सरकारी स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में दान करने का निर्देश दिया। सोमवार को न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह की अदालत में आरोपी युवती की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई हुई।
ऋचा भारती को जज मनीष कुमार सिंह की अदालत से जमानत मिली। ऋचा को सात-सात हजार रुपये के दो निजी मुचलके भरने का निर्देश कोर्ट की ओर से दिया गया। इसके अलावा उसे कुरान की पांच प्रतियां दान करने का भी निर्देश जज ने दिया। पांच में से एक प्रति शिकायतकर्ता और बाकी चार प्रतियां स्कूल-कॉलेज या विश्वविद्यालय में दान करने को कहा गया है।
मामले पर सुनवाई करते हुए रांची सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने ऋचा को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे कुरान की पांच प्रतियां खरीदकर उसे अंजुमन कमेटी और पुस्तकालयों में बांटेगीं। उन्हें इसकी प्राप्ति रसीद भी जमा कराने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने पुलिस से कहा कि इस दौरान वे रिचा को पर्याप्त सुरक्षा भी उपलब्ध कराए।
सोशल मीडिया पर बवाल
कोर्ट के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है। ट्विटर पर #RichaBharti ट्रेंड कर रहा है। कोर्ट के इस फैसले से हर कोई आश्चर्यचकित है और इसपर हिंदू संगठनों ने नाराजगी जताई है। कोर्ट के फैसले के बाद भारती ने बीबीसी से कहा, “फेसबुक पोस्ट के लिए दूसरे धर्म (इस्लाम) के केंद्र पर जाकर कुरान बांटने का आदेश मुझे असहज कर रहा है। मुझे बहुत बुरा लग रहा है। मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं, लेकिन मुझे यह भी अधिकार है कि मैं ऊपर के कोर्ट में अपनी बात रखूं। कोई मेरे मौलिक अधिकारों का हनन कैसे कर सकता है। फेसबुक पर अपने धर्म के बारे में लिखना कहां का अपराध है। मुझे अचानक गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि मैं एक छात्रा हूं।”
रांची वीमेंस कालेज की छात्रा ऋचा भारती ने आगे कहा, “जिस पोस्ट के लिए झारखंड पुलिस ने मुझे गिरफ्तार किया, वह पोस्ट मैंने ‘नरेंद्र मोदी फैंस क्लब’ नामक ग्रुप से कापी कर अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया था। इसमें इस्लाम के खिलाफ कोई बात नहीं थी। मुझे अभी तक कोर्ट के फैसले की कापी नहीं मिली है। उसके मिलने के बाद मैं आगे का निर्णय लूंगी कि मैं कुरान बांटूं या इस आदेश के खिलाफ ऊपर के कोर्ट में अपील करुं।”